________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पुराण ॥३६॥
द्रव्यके भरे हैं और ईतिभीति रहित हैं अब बासुदेवों के पूर्वभव के नामसुनों विश्वानन्दी १ पर्वत २ | धनमित्र ३ सागरदत्त ४ विकट ५ प्रियमित्र ६मानचेष्टित ७ पुनर्वसु - मंगादेव जिसे निर्णामिकभी कहे हैं स्येनव ही बासुदेवोंके जीव पूर्व भव विषे विरूप दौर्भाग्य राज्यभ्रष्ट होय हैं फिर मुनि होय महातप करे । फिरनिदान के योग से स्वर्ग विषे देव होय वहांसे चयकर बलभद्र के लघुभ्राता बासुदेव होयहें इसलिये तपसे निदान करना ज्ञानियों को बरजित है निदान नाम भोगाभिलाष का है सो महाभयानक दुख देने को प्रवीण है, आगे वासुदेवोंके पूर्वभव के गुरुवोंके नाम सुनो, जिन पै इन्होंने मुनिव्रत श्रादरेसंभूत १ सुभद्र। २ वसुदर्शन ३ श्रेयांस ४ भूतिसंग ५ वसुभूति ६ घोषसेन ७ परांभोधि द्रुमसेन अव जिस जिस स्वर्ग से
आय वासुदेव भए तिन के नाम सुनो, महाशुक्र १ प्राणत २ लांतक ३ सहस्रार ४ ब्रह्म ५ महेंद्र ६ सौधर्म ७ सनत्कुमार = महाशुक्र ा ागे वासुदेवों की जन्मपुरियों के नाम सुनो. पोदनापुर १ दापुर २ हस्तनापुर ३ फिर हस्तनागपुर ४ चकपुर ५ कुशाग्रपुर ६ मिथिलापुर७ आयोध्या -मथुराध्ये वासुदेवों के उत्पत्ति के नगर में कैसे हैं नगर समस्त धनधान्य कर पुर्ण महाउत्सव के भरे हैं, आगे वासुदेवों के पिताकेनाम सुनो प्रजापति १ ब्रह्मभूत २रौद्नन्द ३सोम ४ प्रख्यात ५ शिवाकर ६ अग्निनाथ ७ दशरथ ८ वासुदेव और इन नववासुदेवों की मातावोंके नाम सुनों मृगावती १ माधवी २ पृथिवी ३ सीता अंविका५ लक्ष्मी ६ केशिनीसुमित्रा देवकी : ये नवों ही वासुदेवों की नव माता कैसी हैं अतिरूपगुणोंकर मण्डित महा सौभाग्यवती जिनमती हैं आगे नव वासुदेवोंके नाम सुनो त्रिप्रष्ट दिप्रष्ट २ स्वयम्भू ३ पुरुषोत्तम ४ | पुरुषसिंह ५ पुण्डरीक ६ दत्त७ लक्ष्मण ८ कृष्ण ६ आगे नव ही वासुदेवों कीमुख्य पदराणीयों के नाम सुनो।
For Private and Personal Use Only