________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir
वयालीसहजार वर्षघाट एक कोटाकोटि सागरका है पंचमा दुःखमा काल इक्कीस हजार वर्ष का है छठा | Hymदुःखमा दुःखमा काल सोभी इक्कीस हजार वर्षका है यह अवसर्पणी कालकी रीति कही प्रथमकाल से
लेय छठे काल पर्यंत आयुअादि सर्व घटतीभई और इससे उलटी जो उत्सर्पणी उसमें फिर छठेसे लेकर पहिले पर्यन्त आयु काय बल प्राक्रम बढ़ते गये यह कालचक्र की रचना जाननी ॥ ___अथानन्तर जव तीजेकाल में पत्यका आठवांभाग वाकीरहा तब चौदहकुलकरभये तिनका कथनपूर्व कर आये हैं चौदहवें नाभिराजा तिनके आदि तीर्थंकर ऋषभदेव पुत्रभये तिनको मोक्षगयेपीछे पचासलाख कोटिसागरगयेश्रीअजितनाथद्वितीयतीर्थकरभये उनकेपीछेतीसलाखकोटिसागरगयेश्रीसंभवनाथभयेउनपीछे दसलाख कोटि सागर गये श्रीअभिनन्दनभए उन पीछे नवलाख कोटिसागर गये श्रीसुमतिनाथभए उन के पीछे नब्बे हजार कोड़िसागर गए श्रीपद्मप्रभ भए उन पीछे नव हजार कोटिसागर गए श्रीसुपार्श्वनाथ भए उन पीछे नौसौ कोटिसागर गए श्रीचन्द्रप्रभ भए उन पीछे नव्वे कोटिसागर गए श्रीपुष्पदन्त भए उन पीछे नव कोटिसागर गए श्री शीतलनाथ भए उसके पीछे सौसागर घाट कोटिसागर गए श्रेयांस नाथ भए उन पीछे चव्वन सागर गए श्रीवासुपूज्य भए उन पीछे तीस सागर गए श्रीविमलनाथ भये उनके पीछे नव सागर गये श्रीअनन्तनाथ भये उनके पीछे चारसागर गये श्रीधर्मनाथ भये उनके पीछे पौन पल्य घाठ तीन सागर गए श्रीशांतिनाथ भए उनके पीछे अाध पल्य गए श्रीकुन्थुनाथ भए
उनके पीछे छै हजार कोटि वर्ष घाठ पाव पल्य गए श्रीअरनाथ भए उनके पीछे पैंसठलाख चौरासी | हजार वर्ष घाट हजार कोटि वर्ष गए श्रीमल्लिनाथ भए उनके पीछे चौवन लाख वर्ष गए श्रीमुनि
For Private and Personal Use Only