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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुराण ॥३४॥ पद्म सुमङ्गला माता मघा नक्षत प्रियंगुवृक्ष सम्मेदशिखर सुमतिनाथ जगतमें महामंगलरूप तेरे सर्वविघ्न हरें५ । कौशांबीनगरीधारणपिता सुसीमामाता, चित्रा नक्षत प्रियंगु वृक्ष सम्मेदशिखर पद्मप्रभ ते रे काम क्रोधादि अमंगल हरें ६ काशीपुरी नगरी सुप्रतिष्ठ पिता पृथिवीमाता विशाखा नक्षत्र शिरीपवृक्ष सम्मेदशिखर सुपार्श्व नाथ हे राजन् ते रेजन्मजरामृत्यु हरे ७ चन्द्रपुरी नगरी महासेनं पिता लक्ष्मणा माता अनुराधा नक्षत नागवृक्ष सम्मेदशिखर चन्द्रप्रभ तुझे शान्तिभाव के दाता होवें, ८काकन्दीनगरी सुग्रीवपिता रामामाता मूलनक्षत शालवृक्ष सम्मेदशिखर पुष्पदन्त ते रेचित्तको पवित्र करें। भद्रिकापुरी नगरी दृढ़रथ पिता सुनन्दा माता पूर्वाषाढ़ नक्षत प्लक्षवृक्ष सम्मेदशिखर शीतलनाथतेरे तिविधताप हरें १० सिंहपुरी नगरी विष्णु पिता विष्णु श्री देवी माता श्रवणनक्षत् तिन्दुक वृक्ष सम्मेदशिखर श्रेयांसनाथ तेरे विषय कषाय हरें ११ चंपापुरी नगरी वासुपूज्य पिता विजया माता शतभिषा नक्षत् पाठल वृक्षनिर्वाणक्षेतचम्पापुरीका बनश्रीवासुपूज्यतुझेनिर्वा णप्राप्त करें १२कपिलानगरी कृतवर्मापिता सुरम्यामाता उत्तगपादनक्षत्र जंबूवृक्ष सम्मेदशिखर विमलनाथ तुझे रागादि मल रहित करें १३ अयोध्यानगरी सिंहसेनपिता सर्वयशामाता रेवती नक्षत्र पीपलवृक्ष सम्मेदशिखर अनंतनाथ तुझेअन्तररहित करें१४रत्नपुरी नगरी भानुपिता सुत्रतामातापुष्प नक्षत्र दधिपर्णवृक्षसम्मेदशिखर खर धमनाथतुझे धर्मरूपकरें १५हस्तनागपुरनगर विश्वसेनपिता ऐरामाता भरणीनक्षत्रनन्दीवृक्ष सम्मेदशि शान्तिनाथ तुझे सदा शान्ति करें १६ हस्तनागपुर नगर सूर्य पिता श्रीदेवी माता कृतिका नक्षत्र तिलक बृक्ष सम्मेदशिखर कुंथुनाथ हे राजेन्द्र तेर पाप हरणके कारण होवें १७ हस्तिनागपुर नगर सुदर्शन पिता मित्रामाता रोहिणी नक्षत्र आमवृक्ष सम्मेद शिखर अरनाथ हे श्रेणिक तेरे कर्मरज हरें १८ मिथिलापुरी For Private and Personal Use Only
SR No.020522
Book TitlePadmapuran Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
PublisherDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publication Year
Total Pages1087
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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