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पुरास
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करे हैं सा डाकनि राक्षस स्वास मार्जार मूसा आदिक मलिन प्राणियों का उच्छिष्ट आहार कर हैं। बहुत प्रपंच कर क्या सर्वथा यह ब्याख्यानहै कि जो रात्री को भोजन करे हैं सो सर्व अशुचिका भोजन करे है सूर्य के अस्त भए पीछे कछु दृष्टि न आवे इसलिये दोय महूर्त दिवस वाकी रहे तवसे लेकर दो महूर्त दिन चढ़े तक विवेकियों को चौविधि आहार न करना प्रशन पान खाद स्वाद ये चार प्रकार के आहार तजने जे रात्री भोजन करे हैं वे मनुष्य नहीं पशु हैं जो जिन शासनसे विमुख व्रत नियम से रहित रात्री दिवस भखवेही करे, सो परलोकमें कैसे सुखी होंय जो दया रहित जीव जिनेन्द्रकी जिन धर्म की और धर्मात्मावों की निंदा करे हैं सो परभव में महा नरकमें जाय हैं और नरक से निकस कर तिर्यंच तथा मनुष्य होय सो दुरगन्धमुख होय, मांस मद्य मधु निशिभोजन चोरी और परनारी जो सेवे हैं सो दोनों जन्म खोवे हैं जो रात्री भोजन करे हैं सो अल्प आयु हीन ब्याधि पीड़ित सुख रहित महाँ दुखी होय हैं रात्री भोजन के पाप से बहुतकाल जन्म मरण के दुख पावें हैं गर्भवास विषे बसे हैं रात्री भोजी अनाचारी शूकर कूकर गरदभ, मार्जार, स्याली, काग, वन, नरकनिगोद स्थावर त्रस अनेक योनियोमें बहुतकाल भ्रमण करे हैं हजारों अवसर्पणीकाल और हजारों उत्सर्पणी काल योनियोंमें दुःख भोगे हैं जो कुवुद्धि निशि भोजन करे हैं सो निशाचर कहिये राक्षस समानहें और जो भव्यजीव जिनधर्मको पायकर नियमोंमें तिष्ठे हैं सो समस्त पापोंको भस्मकर मोक्ष पदको पावे हे जे अणुव्रतोंमें परायण रत्नत्रय के धारक श्रावक हैं वे दिवसमेंही भोजन करेंदोषरहित योग्य आहार करें जे दयावान रात्रीभोजन न करें वे स्वर्ग में सुख भोगकर वहांसे चयकर चक्रवर्त्तादिक के सुख भोगे हैं शुभ है चेष्टा जिनकी उत्तमव्रत चेष्टा ।
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