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पुराण 1 .
पद्म । सहित रमें मीठे २ भोजन इनको दिये और इनके चित्राम कदाए पीछे उनके वंशमें जो राजा भए उनने
मङ्गलीक कार्यों में इनक चित्राम बढाए और वानरों से बहुत प्रीति राखी इसलिये पूर्व रीति प्रमाण अब भी लिखे हैं ऐसा कहां तव राजा क्रोध तज प्रसन्न होय आज्ञा करतेभए कि हमारे बड़ोंने मङ्गल कार्य में इनके चित्राम लिखाए तो अब भूमिमे मत डारो जहां मनुष्योंक पाब लगें में इनको मुकटपर राखूगा
और ध्वजावों में इनके चिन्ह करावो और महलों के शिखर तथा छत्रों के शिखर पर इन के चिन्ह करावो यह अाज्ञा मन्तियों को करी सो मन्त्रियों ने उसही भान्ति किया राजाने गुणवती राणी सहित परम सुख भोगते विजयाध की दोऊ श्रेणी के जीतने का मन किया बड़ी चतुरङ्ग सेना लेकर विजियार्घ गये, राजा की ध्वजारों में और मुकटों में कपियों के चिन्ह हैं राजा ने विजिया जायकर दोऊ श्रेणीजीत कर सब राजा वश किये सर्व देश अपनी प्राज्ञामें किये किसीका भी धन न लिया जो बडे पुरुष हैं तिन की वृती यही है कि राजाओंको नवावें अपनी आज्ञा में करें किसी का धन न हरें सो राजा सब विद्याधरोंकों आज्ञा में कर पीछे किहकूपुर आए विजियार्घ के बड़े २ राजा लार आए सर्व विद्यधरों का अधिपति होकर घने दिन तक राज्यकिया लक्ष्मी चंचल थी सो नीतिकी वेड़ी डाल निश्चल करी, तिनके पुत्र | कपिकेतु भए जिनके श्रीप्रभा राणी बहुत गुणकी धारणहारी ते राजा कपिकेतु अपने पुत्र विक्रम संपन्न
को राज्य देय वैरागी भए और विक्रम सम्पन्न प्रतिवल पुत्रको राज्य देय बैरागी भए यह राज्य लक्ष्मी विषकी वेल के समान जानो बडे पुरुषों के पूर्वोपार्जित पुण्यके प्रभावकर यह लक्ष्मी विनाही यत्न मिले ॥ है परन्तु उनके लक्ष्मी में विशेष प्रीति नहीं लक्ष्मी को तजते खेद नहीं होय है किसी पुण्य के प्रभाव
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