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ন্যাশনাখায় নম: ॥ नीतिदीपिका ॥
(भावार्थसहित)
मङ्गलाचराम
शार्दूलविक्रीडितवृत्तम यद्राक्चन्द्रिकया चकारचरिताश्चारित्रिणश्चित्रकृ
चारित्राबत चिन्मयेऽचलमते सम्बोधिता बोधत: भव्यानां भवजालभीतमनमामज्ञानमुन्मीलितं मोऽव्याद्रो वृषलाञ्छना वृषपतिः श्रीमयुगादिप्रभुः॥१॥
जिन आदिनाथ भगवान् की बागीरूप चन्द्रमा की चांदनी को चारित्रधारी पुरुष चकोर के समान आचरण करते हैं, तथा जिन्होंने उत्तम संयमियों को ज्ञान द्वारा निश्चल चैतन्य मत में स्थापन कियाहै, और जिनके वृषभ का चिह्न हैं, ऐसे धर्म के पति---श्री आदिनाथ स्वामी सम्हारी रक्षा
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