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पञ्चमो वग्गो
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स्थछट्टमदसमदुवालमेहि मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहि तवोकम्मे हिं अप्पोणं भावेमाणे बहूई वालाई सामण्णपरियागं पाउणिस्सइ । २ मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झुसिहिइ, २ सद्धि भत्ताई अणसणाए छेइहिइ, जस्सट्टाए कीरइ नग्गभावे मुण्डभावे अपहाणए जाव अदन्तवणए अच्छत्तए 5 अणोवाहणाए फलहसेज्जा कट्टसेज्जा केसलोए बम्भचेरवासे परघरपवेसे पिण्डवाउलद्धावलद्धे उच्चावया य गामकण्टगा अहियासिज्जइ, तमढें आराहेइ । २ चरिमेर्हि उस्सासनिस्तासेहिं सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणं अन्तं काहिइ” ॥
॥ निक्खेवओ ॥ ५ । १ ॥ एवं सेसो वि एकारस अज्झयणा नेयव्वा संगहणीअणुसारेण अहीणमइरित्त एकारससु वि ॥ १९० ॥
॥ पञ्चमो वग्गो सम्मत्तो ॥ ५ ॥ निरयावलियासुयखन्धो सम्पत्तो । सम्मत्ताणि उवङ्गाणि। निरयावलियाउवङ्गे णं एगो सुयसन्धो, पञ्च वग्गा पञ्चसु दिवसेसु उदिस्सन्ति तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्देसगा, पञ्चमवग्गे बारस उद्देसगा ॥
॥निरयावलियामुत्तं सम्मत्तं ॥
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