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पढमो वग्गो
१३
ल्लणा देवी संपुण्णदोहला एवं संमा मियदोहला विच्छिन्नदोहला तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहइ ॥
तए ण तीसे चेल्लणाए देवीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्ता. वरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे [जाव] समुप्पजित्था-" जइ ताव इमेणं दारपणं गभगएणं चेव पिउणो उयरवलिमंसाणि 5 खाइयाणि, तं सेयं खलु मए एयं गम्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तष वा," एवं संपेहेइ । २ तं गम्भं बहहिं गब्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गभगालणेहि य गन्भविद्धंसणेहि य इच्छइ तं गब्भं साडित्तए घा पाडित्तए वा गालित्तष वा विद्धंसित्तए वा, नो चेव णं से गब्भे सडह10 वा पडइ वा गलइ वा विद्धंलाइ वा । तए णं सा चेल्लणा देवी तं गब्भं जाहे नो संचाएइ बहहिं गब्भसाडएहि य जाब गब्भविद्धंसणेहि य साडित्तए वा [ जाव ] विद्धसित्तर वा, ताहे सन्ता तन्ता परितन्ता निविण्णा समाणी अकामिया अबसवसा अवसट्टदुहट्टा तं गम्भं परिवहइ ॥
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तए णं सा चेल्लणा देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं [जाव] सोमालं सुरूषं दारगं पयाया। तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए इमे एयारूवे जाव समुप्पज्जित्था-" जइ ताव इमेणं दारएणं गभगएणं चेव पिउणो उयरवलिमसाई खाइयाई, तं न नज्जइ णं एस दारए संवढमाणे अम्हं कुलस्स अन्तकरे20 भविस्सइ । तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगन्ते उकुरुडियाए उज्झावित्तए " एवं सपेहेइ । २ दोसचेडि सद्दावेइ, २ एवं वयासी-“गच्छह णं तुमं, देवाणुप्पिए, पयं दारगं एगन्के उकुरुडियाए उज्झाहि" ।
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