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* मोक्षतत्व *
(७७)
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संजम दंसण लेसा,
भव सम्मे सन्नि श्राहारे॥४५॥ १-गतिमार्गणा, २-इन्द्रियमार्गणा, ३-काय मार्गणा, ४ योग मार्गणा, ५-वेद मागणा,६-कषाय मार्गणा, ७-ज्ञान मार्गणा, E-संयम मार्गणा, 8-- दर्शन मार्गणा,१०-लेश्या मार्गणा,१? –भव्य मार्गणा, १२-सम्यक्त्व मार्गणा, १३-संज्ञी मागणा,और १४श्राहार मार्गणा ॥४५॥
मार्गणा को अर्थ और प्रत्येक के भेद अगली गाथा में कहे जायेंगे। नरगइ पणिदि तस भव,
सन्नि अहवखाय खइप्रसम्मत्ते। मुक्खोऽणाहार रेवल,
दसण नाणे न सेसेसु ॥४६॥ "इस गाथा में यह बतलाया गया है कि जीव किन
मर्गणाओं के द्वारा मोक्ष पाता है।" मनुष्यगति, पंचेन्द्रिय, सकाय, भवसिद्धिक, संज्ञी, यथाख्यात चारित्र, क्षायिकसम्यक्त्व, अनाहार, केवलदर्शन और केवलज्ञान, इन दस मार्गणाओं के द्वारा मोक्ष होता
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