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* अजीवतत्स
obe x News आकाश द्रव्य, अन्य द्रव्यों को अवकाश देता है। इसलिये वही एक क्षेत्र कहलाता है । और अन्य द्रव्य क्षेत्री कहलाते हैं।
एक जगह से दूसरी जगह जाना यह क्रिया है । जोक और पुद्गल को छोड़ अन्य द्रव्यों में क्रिया नहीं है इस लिये जीव और पुद्गल सक्रिय, और अन्य द्रव्य निष्क्रिय कहलाते हैं।
धर्म, अधर्म, आकाश और काल-इन चार द्रव्यों में विभावपरिणाम नहीं होता इसलिये ये नित्य और जीव तथा पुद्गल में विभावपरिणाम होता है इसलिये ये दोनों अनित्य हैं । नयवाद को लेकर जीवको अनित्य कहा है, अन्यथा, जैन-सिद्धान्त सर द्रव्यों को नित्यानित्य कहता है।
जीवके शरीर-इन्द्रिय आदि के बनने में कारण, पुद्गल है; जोधके गमन में कारण, धर्मास्तिकाय है; जीवके स्थिर होने में कारण, अधर्मास्तिकाय है; जोवकी वर्तना में कारण, काल है । इस लिये ये पाँचों द्रव्य, कारण हैं; और जोक द्रव्य अकारण है, क्योंकि जीव से उन पाँचों द्रव्यों का कोई उपकार नहीं होता।
॥अजीव तत्व समाप्त ॥
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