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*नवतख
(१२) 'स्वयंबुद्धसिद्ध';-बिना उपदेशके, पूर्वजन्मके संस्कार उजुद्ध होने से जिन्हें ज्ञान हुआ और सिद्ध हुए वे । जसे कपिल आदि।
कपिल को साधुओं के पात्र देख कर ज्ञान हुआ था कि मैं ने भो ऐसे पात्र कभी देखे हैं, ऐसा सोचते सोचते पूर्व भव को स्मरण हो गया और सिद्ध हुए।
(१३) गुरुके उपदेश से ज्ञानी होकर जो सिद्ध हुये, वे, 'बुद्धबोधित सिद्ध'। __(१४) एक समय में एक ही मोक्ष जानेवाले एकसिद्ध, जैसे महावीर स्वामी श्रादि ।
(१५) एक समय में अनेकमुक्त होने वाले 'अनेकसिद्ध कहलाते हैं, जैसे ऋषभदेव आदि ।
"सिद्ध जीवों के उदाहरण चार गाथाओं के द्वारा कहे जाते हैं। जिगसिद्धा अरिहंता,
अजिणसिद्धा य पुंडरित्र पमुहा गणहारि तित्थसिद्धा,
अतित्थसिद्धा य मरुदेवी ॥५६॥ ऋषभ आदि तीर्थङ्कर, जिनसिद्ध' कहलाते हैं,
गवाह
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