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पञ्चमध्यायः॥ मुसलमानों ने छमारी पुस्तकें जनादी । हम्माम गर्म किये गये।
और यहां तो आपने वेद पुराणों को भी निकम्मा लिखदिया। फलित विचारे की आप क्या परवाह करते ? जोशी जी महा. राज! वेद की बहुत सी शाखा जलायी गयी हैं, १९३१ शाखाभों का आप नाम बता सकते हैं? ॥ देखिये-महाभाष्य अ०१पा०१ ___चत्वारोवेदाःसाङ्गाःसरहस्या बहुधाभिन्ना एकशतमध्वर्युशाखाः सहस्रवा सोमवेदएकविंशतिधा बाहूच्यम्।नवधाऽआथर्वणोवेद,इति
. कहिये ये शाखा कहां गयीं, वास्तव में यवनों के समय में वेद,ब्राह्मणा,गृह्य सूत्र, धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिषविद्या की सैकड़ों सहस्रों पुस्तकें नदियों में बहायीं गयों और जलाकर नष्ट करदी, भाज तक इसी कारण अनेक देशहितैषी रोते हैं ।
(ज्यो००पृ०३७ )-गर्गजी के नाम से जोशी जी ने यह शोक लिखा है। म्लेच्छाहियवनास्तेष सम्यकशास्त्रमिदंस्थितम् ।
ऋषिवत्तेपिपूज्यन्ते किम्पुनदैवविद्विजाः ॥ - समीक्षा-जोशी जी ! यह लोक वाराहीसंहिता ( १०२ झो०१५) का है गर्ग जी का नाम आपने मिथ्या लिख कर क्या लाभ उठाया ?॥ . (ज्यो००प०३७पं०९)-हिन्दुधर्म के खण्डन करने को प्राया।हमने उस को दशवां अवतार मान लिया । यदि महम्मद और ईसा मूर्तिपूजा को खण्डन न करते तो कदाचित् उनकी भी मूर्ति मन्दिरों में धरी मिलती ॥
(समीक्षा)-जोशी जी! नमस्कार, बुद्ध को हिन्दु दशम प्र वतार नहीं किन्तु मधम अवतार मानते हैं। पुराण तो एक तर्फ रहे गीतगोविन्द से भी इतना ज्ञान हो जाता है। यथा-वेदानुद्वरतेजगन्निवहते भूगोलमुद्विभ्रते,
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