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पञ्चमोध्यायः ॥
५५ पास) परावर भाया करते हाल ही केसी गत वैशाख में सीतापुर के एक वकीलसाहव * की कन्या और एक बर के नाम्य कराने को सीतापुर अवध के प्रसिद्ध वकील वाबू होटेलाल एम०ए० महाशय का पिता जी की सम्मति लेने के मिमित्त भाया है। काशी जी के भनेक पगिडतों के, तथा सुधा. कर द्विवेदी जी के उन में हस्ताक्षर हैं, यह साम्य यथायोग्य है करके सम्मों ने लिखा है मैं पत्र दिखा सकता। और प. वांग में भी द्विवेदी नी फलादेश वरावर लिखते पाये। तथा नलित का काम करते हैं। यदि फलित न मानते तो ये सब काम छोड़ कर खान करने लगते। जो पत्र भापने उन का रूपाया है उम में अवश्य कुछ माया, तथा ( बड़प्पन) रचा, ऐसा अनुमान है।
अब पृथ्वी का स्थिर होना भी सिद्ध करते हैं लटुमार पण्डित ही नहीं, बड़े २ भाचार्य पृथ्वी का स्थिर होना मान गये। जोशी जी ! ध्यान देखें, और सिद्धान्तशिरोमणि गो. लाध्याय देखें ॥
मरुच्चलोभरचलास्वभावतो, यतोविचित्रा. वतवस्तुशक्तयः।
अर्थात् स्वभाव ही से पृथ्वी की स्थिरता, वायु, तथा सूर्य का चलना सिद्ध है। सूर्यसिद्धान्त में भी तारों का भमण करना और पप्पी का स्पिर होना साफ लिखा है।
तन्मध्येभ्रमणंभाना-मधोध:क्रमशस्तथा। . (भाषा)-व्योमकक्षा में नक्षत्रों (तारों) का भ्रमण होता। मध्येसमन्तादण्डस्य भूगोलोव्योम्नितिष्ठति । विभ्राणःपरमांशक्तिं ब्रह्मणोधारणोत्मिकाम् ॥
भाषा-ब्रह्मा जी की धारणात्मिका परमशक्तिरे बल से *वाब भाशाराम जी एम० ए०
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