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ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ (समीक्षा) भारतर्ष के पण्डित गण ! आपने कभी लगंड का नाम भी सुना है? ये लगढ कौन थे? कब हुए? इम की बनाई हुई पुस्तक शायद जोशी जी की लाइब्रेरी में होगी। किसी ऋषि मुनि का माम न लेकर भाप इस लगंढ का नाम कहां से लाये? ज्योतिष के ग्रन्थों का अवलोकन जोशी जी ने किया होता तो ऐसी कट पटांग वास न लिखते । इस का प्रमाणाजमार्दन जी को लिखना था। ईसामसीह से कितने वर्ष पहिले ये लगढ महाशय हुए ये और कौन ग्रन्थ इन्हों ने बनाया ॥
पाठक महाशय ! देखिये प्रति प्राचीन गणित का ग्रन्थ सूर्यसिद्धान्त है ॥ उक्तञ्च शास्त्रमाद्यन्तदेवेदं यत्पूर्वप्राहभोस्करः ॥ युगानांपरिवर्तन कालभेदोऽत्रकेवलम् ॥
अर्थात पहिले भास्कर ( सर्य भगवान् ) ने जो कहा है चही भादि शाख है केवल युग बदलने के हेतु से कालभेद दुभा है। इस बात को सनातनधर्मी पगिडत ही नहीं किन्तु भार्यसमाजी भी मान चुके हैं कि सर्यसिद्धान्त सत्ययुग का बना गणित के ग्रन्थों में सबसे प्राचीन है। जोशी जी ने ल. घंढ का नाम जो लिखा है वह उनके ज्योतिषचमत्कार का ही चमत्कार है॥
(ज्यो० च० पृ० २५ पं० १४) चान्द्रमाम को सौरमान से मिलाने में घट धढ़ अवश्य ही होगी हिन्दुत्रों ने अपने भादि ग्रन्थों में चान्द्रमान ही लिया है ।
(समीक्षा)-जोशी जी आपके स्लघंढ के बनाये हुये ग्रन्थ में केवल चान्द्रमान लिखा होगा हमारे यहां तो ब्राह्म देव पिश्य प्राजापत्य बार्हस्पत्य सौर सावन चान्द्र और नाक्षत्र ये नौ मान माने जाते हैं केवल चान्द्रमान ही नहीं देखिये सूर्य सिद्धान्त अ०१४ झो०१ ब्राह्मदिव्यंतथापित्र्यं प्राजापत्यंगुरोस्तथा। सौरंचसावनंचान्द्र माझ्मानानिवैनव ॥
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