________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु-टी. 130 -14 FF -- ACM 1 पोमा फाज्ये आ आभा आकामा पूर्व दक्षिण पश्चिम|| उत्तर / याप |1|2| |5|6| |10|11|12 // सौरव्य || कश: | मानिः ||अर्थीग / 2r | |5|6|7| |9| | 11/12 | 1 | शून्यं // नैवं. | निख. | मिश्रता / 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 दिव्य // दु:खं इष्टाप्तिः ||अर्थः लामः | सौरव्यं / मंगलम् || वित्तला. 5 6 7 8 9 10 11 12 लाभः च्याप्ति धनं | |9 10 11 भीतिः लाभः मृत्क: अर्थाग 7 8 9 10 11 156 // लाभः कर व्यला-सरवम् सौख्यं क्लेशला. सरखम् | 10 11 12 1 . ६७.सौस्य लाभः ॥कार्यसि|| करम 10 11 12 1235669 // शाकशासक कष्टास्सि- अर्थः // धनम् 11 | 12|1|2| |5| |7| 10 // मृत्यः || लाभः ॥यलाभशून्यम। |12|1|2 | 11| शून्यं सौख्यं मृत्फ // अत्यंत पो मा | फा | ज्ये आ | श्रा | भा आ का | मा | पूर्व / दक्षिण || पश्चिम जस्टम् / दिका क्षेत्रेचतुर्थ्यादिका वैशारवेपंचम्यादिकाळज्येष्ठेषध्यादिका आषादेसप्तम्यादिकाः श्रावणेष्टम्या दिका भादपदेनवम्यादिकाः आश्विनेदशम्यादिका कार्तिकेएकादश्यादिका मार्गशीर्षेद्वादश्यादिका 130 सर्वास्तिथयोद्वादश्यतालेरख्या: अवशिष्टस्थानानिपतिपदादिभिः पूरणानि कामात्तिइति कामात्रयो For Private And Personal Use Only