________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie Re NEL // 8 // ध्यानमाह // सद्यइति / खड्गवरौदक्षयोः // सद्यश्छिन्नशिरोऽभयेवामयोः // मुक्काणोरोष्ठप्रांतयो हृदयेभुजयोःपादद्वयेमंत्रीप्रविन्यसेत् ॥व्यापकंमनुनाकृत्वाध्यायेच्चेतसिकालिकाम् // 8 // सद्यश्छिन्न शिरःकृपाणमभयंहस्तैरिबिभ्रतीघोरास्यांशिरसांस्रनासुरुचिरामुन्मुक्तकेशावलिम् // सृक्कामुक्प्रवहां श्मशाननिलयांश्रुत्योःशवालंकृतिश्यामांगीकृतमेखलांशवकरैर्देवीभजेकालिकाम् // 9 // एवंध्यात्वा जपेल्लक्षंजुहुयात्तदशांशतः // प्रसूनैःकरवीरोत्थैःपूजायंत्रमथोच्यते // 10 // आदौषट्कोणमार च्यत्रिकोणत्रितयंततः // पद्ममष्टदलंबा भूपुरंतत्रपूजयेत् // 11 // जयाख्याविजयापश्चाद जिताचापराजिता // नित्याविलासिनीचापिदोग्ध्यघोराचमंगला // 12 // पीठशक्तयएताःस्युः कालिकायोगपीठतः॥ आत्मनेहृदयांतोयंमायादिःपीठमंत्रकः॥१३॥ अस्मिन्पीठेयजेदेवीशवरूपशि वस्थिताम् / महाकालरतासक्तांशिवाभिर्दिक्षुवेष्टिताम् // 14 // रसृजोरुधिरस्यप्रवाहोयस्यास्ताम् // श्रुत्योः कर्णयोःशवालंकारयुताम् // 9 // 10 // 11 // 12 // पीठमं त्रमाह // आत्मनइति // हींआत्मनेनमइति // 13 // 14 // 1 इदंयत्रंगौणं // मुख्येतुत्रिकोणपंचकलेखनीयम् // 2 ह्रींकालिकायोगपीठात्मनेनमः // orl Mr For Private and Personal Use Only