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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उच्छिष्टगणेशाउक्ताशक्तिविनायकसंज्ञं मन्त्रान्तरमाह // मायेति // मायाहीं॥ पश्चान्तकहुताशनौगका ररेफौ // त्रिमूर्तिचन्द्रस्थौ // इकारानुस्वारयुक्तौ // तेनग्रीतारादिशक्तिबीजान्तः // प्रणवादियाबी जान्तः // यथा // ओह्रींनींहींइति चतुर्वर्णः // 89 // देवइतिपूर्वेणसम्बन्धः // मायाशक्तिः // द्वितीयं मायात्रिमूर्तिचंदुस्थौपंचान्तकहुताशनौ // तारादिशक्तिबीजान्तोमंत्रोयंचतुरक्षरः // 89 // भार्ग वस्यमुनिश्छंदोविराटशक्तिगणाधिपः // देवोमायाद्वितीयेतुशक्तिबीजेप्रकीर्तिते // 90 // षड्दी र्घयुद्वितीयेनताराद्यनषडङ्गकम् // विधायसावधानेनमनसासंस्मरेत्प्रभुम् // 91 // विषाणांडशाव क्षसूत्रंचपाशंदधानकरैर्मोदकंपुष्करेणास्वपत्न्यायुतंहेमभूषाभुराव्यंगणेशंसमुद्यदिनेशाभमीडे॥१२॥ एवंध्यात्वाजपेल्लक्षचतुष्कंतदशांशतः॥ अपूपैर्नुहुँयावह्नौमध्वक्तैस्तर्पयेचतम् // 93 // पूर्वोक्तेपूजये त्पीठेकेसरेष्वङ्गदेवता॥ दलेषुवक्रतुण्डाद्यान्ब्राह्मीत्याबादलायगाः॥९४॥ बीजम् // 90 ॥षडङ्गमाह॥षडिंति॥ओंग्राहृत् ॥ओंग्रीशिरइत्यादि // 91 // ध्यानमाह // विषाणेति // अं कुशाक्षसूत्रेदक्षयोः / अन्येवामयोः॥९२ // 93 // 94 // 1 अस्यशक्तिगणाधिपमंत्रस्यभार्गवऋषिः विराट्छंदः शक्तिगणाधिपोदेवताहींशक्तिःग्रीबीजममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः / 2 दन्त / 3 शुंडाग्रेण / For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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