________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म०म० लक्षणमाह // शांती रोगादिनाशनमिति // देवतायेकोनविंशतिपदार्थान् प्रतिकर्मभिन्नान् यथा सटीक स्वंज्ञात्वाषट्कर्माणिकुर्यादित्याह // देवतादेवतावइत्यादिना // 2 // 3 // 4 // 5 // उद्देशक्रमेणादौदेव २२७॥ता आह // रतिरिति // शांत्यादिकर्मारंभेक्रमाद्रत्यादिपूजा // देवतावर्णानाह // सितेति // रतिः०२८ उक्तानीमानिकर्माणिशांतीरोगादिनाशनम्॥वश्यवचनकारित्वंस्तम्भोवृत्तिनिरोधनम्॥२॥द्वेषोऽप्रीतिः प्रीतिमतोरुबाट स्थानतच्युतिः // मारणंप्राणहरणमितिपट्कर्मलक्षणम् // 3 // देवतादेवतावर्णाऋतु दिग्दिवसासनम् // विन्यासामंडलंमुद्राक्षरंभूतोदयःसमित् // 4 // मालाग्निर्लेखनद्रव्यंकुंडनुक्चुवले खनीषट्कर्माणिप्रयुंजीतज्ञात्वैतानियथायथम्॥५॥रतिर्वाणीरमाज्येष्ठादुर्गाकालीचदेवता। सितारुण हरिद्राभमिश्रश्यामलधूसराः॥६॥ प्रपूजयेतकर्मादौस्ववर्णैःकुसुमैःक्रमात् // ऋतुष्टकंवसंताद्यमहो राभवेत्क्रमात् // 7 // एकैकस्यऋतोर्मानंघटिकादशकंमतम् // हेमन्तंचवसंताख्यशिशिरंग्रीष्मतो यदौ॥ 8 // शरदकर्मणांषट्केयोजयेत्क्रमतःसुधीः॥ शिवसोमेंद्रनिक्रतिपवनाग्निदिशक्रमात् // 9 // सिता॥ वाणीअरुणेत्यादि // 6 // स्ववर्णैःसितादिवर्णैः॥ऋतूनाह // ऋतुषट्कमिति // शांत्यादौवसंतादी SON227 // न्युंजीत॥प्रत्यहंसूर्योदयानाडीदशकंवसंतः॥ तदग्रिमंनाडीदशकंशिशिरइत्यादि ॥७॥८॥दिशआह॥ शिवेति // शिवादिगैशानी // 9 // SHEELESANEELAMSSSSSETTE For Private and Personal Use Only