________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में०म० // 17 // बलिमंत्रमाहस्मृतिर्ग:सेन्दुस्सातुस्वारः॥ आकाशंहः। तथासानुस्वारः॥ सृष्टिलौककारलकारौ। कीदृशौ सटीक मन्विंद्वाढ्यौऔकारानुस्वारयुतौ // तेनक्लौंपंवांतकशिवीगकारलकारौतद्वन्मन्विद्वाढचौग्लौं // उच्छिष्ट गस्वरूपं // भगान्वित उमाकांतः // एकारयुतोणःणे // सबिंदुर्यःसानुस्वारोयकारः // अन्यत्स्वरूपम् // त.२ मन्त्रीयथा // गहलौंग्लौंउच्छिष्टगणेशायमहायशायायंबलिः // इत्येकोनविंशत्योबलिमंत्रः॥५१॥५२॥ सेंदुःस्मृतिस्तथाकाशंमन्विदाढयौचसृष्टिलौ // पंचांतकशिवौतद्वदुच्छिष्टगभगान्वितः // 51 // उमाकांतःशायमांतेहायक्षायासबिंदुयः // बलिरित्येषकथितोनवेंद्वर्णोवलेमनुः॥५२॥ध्रुवोमायासें दुशाङ्गि/जाढयोनववर्णकः॥ द्वादशा!मनुःप्रोक्त सर्वमस्यनवार्णवत् // 53 // ताराद्यश्चगणेशायो नवार्णोदशवर्णकः // द्विविधोस्योपासनंतुप्रोक्तमन्यनवार्णवत् // 54 // मन्त्रांतरमाह ॥ध्रुवेतिध्रुवओंमायाहीशार्किंगः॥ सेन्दुःअनुस्वारसहितः॥गंत्रिबीजाढयः॥ स्पष्टं यथाओं Bाहींगहस्तिपिशाचिलिखेस्वाहेतिद्वादशार्णः॥५३॥ ताराद्योयथा // हस्तिपिशाचिलिखेस्वाहा // गणे NE17 // शाद्योयथा // गंहस्तिपिशाचिलिखेस्वाहा // 54 // 1058655655Ehbhibitembrowomonal स्य For Private and Personal Use Only