________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir THAN सटीक त०२४ RSilene मं० म०रदनाक्षरोद्वात्रिंशदर्णः॥कूटोव्यंजनसमूहः॥ध्रुवाप्रणवः॥५८॥पराहीं॥५९॥पक्षिनायकोगरुडमंत्रः॥६०॥६१ // 222 // सप्तार्णोनववर्णश्चरुद्रार्णोरदनाक्षरः // अष्टाहिंसमंत्रश्वकूटोवेदोदितोधुवः // 18 // स्वप्नलब्धःस्त्रि याप्राप्तोमालामंत्रोनृकेसरी // प्रासादोरविमंत्रश्चवाराहोमातृकापरा // 59 // त्रिपुराकाममंत्रश्चाज्ञा सिद्धःपक्षिनायकः॥ बौद्धमंत्राजैनमंत्रानैवसिद्धादिशोधनम् // 60 // एतद्भिनेषुमंत्रेषुशुद्धिरावश्यकी मता // विद्यांमंत्रस्तवंसूक्तमरिभूतंत्यजेध्रुवम् // 61 // अरिमंत्रोगृहीतश्चेदज्ञानवशतस्तदा।तस्य त्यागःप्रकर्तव्यस्तत्प्रकारोधुनोच्यते॥२॥सुदिनेस्थापयेत्कुंभंसर्वतोभद्रमंडल।विलोमंसंजपन्मंत्रपूर येत्तंसुपाथसा // 63 // तत्रदेवंसमावाह्ययजेदावरणान्वितम् // तदनेस्थंडिलंकृत्वाप्रतिष्ठाप्यानलंत तः॥६४ // जुहुयान्मूलमंत्रेणविलोमेनशतंघृतैः॥दिक्पतिभ्योवलिंदद्यात्पायसान्नैप॒तान्वितैः॥६६।। पुनःसंपूज्यदेवेशंप्रार्थयेन्मनुनामुनाआनुकूल्यमनालोच्यमयातरलबुद्धिना // 66 // यदुपात्तंपूजितं चप्रभोमंत्रस्वरूपकम् // तेनममनस क्षोभमशेषंविनिवर्तय // 67 // Bal // 62 // अरिमंत्रत्यागप्रकारमाह // सुदिनइति // सुपाथसाशोभनोदकेन // 63 // 64 // 65 // 66 // 67 // ||222 // For Private and Personal Use Only