________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DC मं०म० सटीक // 22 // U5Sex ॥४॥मंत्रराशिरधिकश्चेद्वाह्यः॥४२॥प्रकारांतरेणऋणधनशोधनमाह॥नामादीतिधिनिताऋणिताचपूर्ववत्॥ अधिकशेषऋणी // ऊनोधनीत्यर्थः // 43 // 44 // 45 // प्रकारांतरमाह // यद्वति॥तादृशैःस्वरव्यंजनरूपेणपृथक् शेषोंकोमंत्रराशिःस्यानामवर्णेष्वयंविधिः॥ अध:पंक्तिस्थितैरकैर्गुणनीयास्तुतेखिलाः॥४१॥ अध म!धिकोराशिरूनोराशिर्धनीस्मृतः॥ मंत्रोयदाधमर्णःस्यात्तदाग्राह्योधनीनतु // 42 // एवंधनर्ण संप्रोक्तमन्यथाप्रोच्यतेपुनः // नामाद्यक्षरमारभ्ययावन्मंत्रादिमाक्षरम् // 13 // गणयेन्मातृकाद्यर्ण क्रमेणगुणयेत्रिभिः // विभक्तेसप्तभिःशिष्टोनामराशिरुदीरितः॥४४॥ एवंमंत्रार्गमारभ्ययावन्नामादि माक्षरम् // गणयित्वात्रिभिहत्वाविभजेत्सप्तभिःसुधीः॥४६॥ मंत्रराशिःस्मृतःशिष्टःपूर्ववद्धनितर्णता // यद्वामंत्राक्षराणीहस्वरव्यंजनरूपतः // 46 // पृथकृत्यद्विगुणयेद्योजयेत्साधकाक्षरैः // तादृशैर एभिर्भतैमैत्रराशिरुदाहृतः॥४७॥ एवंनामार्णसंघोपिद्विगुणीकृत्ययोजितः // मंत्रवर्णैरष्टभक्तोना मराशिःस्मृतोबुधैः // 48 // ऋणिताधनिताचात्रपूर्ववत्परिकीर्तिता // उक्तान्यतममार्गेणशो धनीयमृणंधनैः // 49 // कृतैःसाधकनामाक्षरैयोजयेत् // 46 // 47 // 48 // ऋणिताधनिताचपूर्ववत् / अधिकऋणीत्यादि // 49 // ISSIOSSSSSSUSIL // 22 // For Private and Personal Use Only