________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 20 // विशेषमाह॥धूपयेदिति // 114 // 115 // वामेति // मध्यमामूलयोरंगुष्ठयोगोदीपमुद्रा // दीपदानंने सटीक प्रदेशे // वर्तीनाभूरिपक्षेबहुत्वपक्षेविषमास्त्याज्याः // 116 // 117 // 128 // सितवर्तियुततैलदीपो त०२२ जयध्वनिमंत्रमातःस्वाहांतःसदशाक्षरः // वादयन्वामहस्तेनकीर्तयन्देवतागुणान् // 114 // धूपये दक्षहस्तेनदेवतानाभिदेशतः // जलंपुष्पांजलिंदद्यादीपदानमपीदृशम् // 11 // वाममध्यमयास्पों मूलश्लोकस्यकर्तिनम् // सुप्रकाशोमहादीपःसर्वतस्तिमिरापहः // 116 // सबाह्याभ्यंतरंज्योतिर्दीपो यंप्रतिगृह्यताम्।। धूपस्थानेदीपपदंमध्यमांगुष्ठयोगतः ॥११७॥दीपमुद्रादर्शनंचतदाननेत्रदेशतःभूरि पक्षेतुवर्तीनांविषमावर्तिकामताः॥११८॥धृतदीपोदक्षिणेस्यात्तैलदीपस्तुवामतः / / सितवर्तियुतोदक्षे वामांगेरक्तवर्तिका // 119 // अत्रान्यभूपवज्ज्ञेयंततोनैवेद्यमर्पयेत् // स्वर्णादिभाजनेसाज्यंपायसंशर्करा दिकम्॥१२०॥परिवेष्ययथाशक्तिप्रोक्षेत्कैरत्रमंत्रितैः॥चक्रमुद्रामथारच्यप्रोक्षेत्तन्मंत्रितै लैः॥१२१॥ Ram208 // पिदक्षिणतः // रक्तवर्तियुतोघृतदीपोपिवामतइत्यर्थः // 119 // अन्यजलप्रक्षेपादि // 120 // कैर्जलैः // चक्रमुद्रोक्ता॥वायुबीजेनद्वादशवारंमंत्रितैर्जलैस्तत्रैवेद्यप्रोक्षेत् // 121 // aaaaamana For Private and Personal Use Only