________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सटीक त०२२ मं०म०टास्नानवस्त्रोपवीतनैवेद्येषुदत्तेष्वाचमनीयंदद्यात्॥६९।७०।७१।७२।उभयंमूलश्लोको॥७३।७४।७५६७६७७१७८ // 20 // सर्वकालुष्यहीनायपरिपूर्णसुखात्मने // मधुपर्कमिदंदेवकल्पयामिप्रसीदमे // 68 // पुनराचमनंद द्यान्मूलंश्लोकांतरंपठन् // उच्छिष्टोप्यशुचिर्वापियस्यस्मरणमात्रतः // 69 // शुद्धिमाप्नोतितस्मैते पुनराचमनीयकम् // नानवस्रोपवीतांतेनैवेद्यांतेपितत्स्मृतम् // 70 // पाद्यादिद्रव्याभावेतुतत्स्म रनक्षतानक्षिपेत् // गंधतैलंततोदद्यान्मूलश्लोकंपठन्सुधीः // 7 // स्नेहंगृहाणस्नेहेनलोकनाथमहा शय॥सर्वलोकेषुशुद्धात्मन्ददामिनेहमुत्तमम्॥७२॥हरिद्रायैस्तमुद्वय॑नापयेदुभयंपठन् / परमानंदयो धाब्धिनिमग्ननिजमूर्तये // 73 // सांगोपांगमिदनानंकल्पयाम्यहमीशते // ततःसहस्रंशंखेनशतवा शक्तितोपिवा // 74 // गंधयुक्तोदकैरीशमभिषिचेन्मनुस्मरन् / पठन्मूलंततःश्लोकौदद्यात्रोत्तरी यके // 75 // मायाचित्रपटच्छन्ननिजगुह्योरुतेजसे // निरावरणविज्ञानवासस्तेकल्पयाम्यहम् // 6 // यमाश्रित्यमहामायाजगत्संमोहिनीसदा // तस्मैतेपरमेशायकल्पयाम्युत्तरीयकम् // 77 // पीतंवि ष्णौसितंशंभौरक्तविनार्कशक्तिषु // सच्छिद्रमलिनंजीर्णत्यजेत्तैलादिदूषितम् // 78 // // 20 // For Private and Personal Use Only