________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० दक्षांसादिषुधर्मादयःपीठपादाः // तेचवृषकेसरिभूतगजरूपाः // 160 // मुखादिष्वधर्मादयः पीठगात्राणि // तेपिवृषादिरूपाः // इतोनंतोम्बुजंपद्मम् // 161 // तेषुसूर्यादिषुवर्णाद्याःसूर्यादिकलाः सटीक भंतपिन्यैनमइत्यादिद्वादशकलाः // सूर्येअंअमृतायैनमइत्याद्या षोडशेंदौयंधूम्रार्चिषेनमइत्याद्यादशव मत०२१ दक्षवामांसवामोरुदक्षोरुषुयथाक्रमात् // धर्मज्ञानंचवैराग्यमैश्वय्यविन्यसेत्ततः॥ 16 // वदनेवाम पार्श्वेचनाभौदक्षिणपार्श्वके // अधर्मादीन्प्रविन्यस्यहृद्यनंतमितोंबुजम् // 161 // पद्मेसूर्येन्दुवह्नीं निजाः कलाः॥ तत्तन्नामादिवर्णाद्यान्सत्वायांस्त्रीन्गुणान्यसेत् // 162 // तत्रात्मत्र यमाद्यर्णपूर्वतुर्यपरादिकम् // मायातत्वंकलातत्वविद्यातत्त्वंततोन्यसेत् // 163 // परतत्वंचनामा दिवर्णपूर्वाणिविन्यसेत् // स्वपीठशक्तिविन्यस्यन्यसेत्पीठमनुनिजम् // 164 // हदिन्यस्यानंतमुखं देवानामुत्तरोत्तरम् // प्रत्याधारत्वमुदितंपूर्वपूर्वस्यसत्तमैः // 165 // इतिदेहमयेपीठेध्यायेत्स्वाभी टदेवताम् / तत्तन्मुद्रांप्रदर्याथकुर्यान्मानसपूजनम् ।।१६६।।अथार्पयेत्ततोदेवमंत्रेणानेनतन्मनाः॥ स्वागतंदेवदेवेशसन्निधौभवकेशव / / 167 // हो॥नामादिवर्णान् // संसत्वायनमइत्यादि // 162 // आत्मत्रयमादयःअउमावर्णास्तत्पूर्वम्॥अंआत्मने // // 20 // ॐअंतरात्मने / मंपरमात्मने / तुर्यज्ञानात्मने // परादिकंहींपूर्वम् // 163 // 164 // 165 / / 166 // 167 // For Private and Personal Use Only