________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मांडेत्यादिश्लोकत्रयंपुराणोक्तंतीर्थावाहनमंत्राः॥ 15 // 16 // 17 // 18 // तेनबीजेनवमितिबीजेन // कवचेनहुमितिबीजेन // अस्त्रेणफडितिमंत्रेण // 19 // ईशवारमेकादशवारम् // वक्ष्यमाणेनाधारइत्या ब्रह्मांडोदरतीर्थानिकरैःस्पृष्टानितेरवे॥ तेनसत्येनमेदेवतीर्थदेहिदिवाकर // 15 // गंगेचयमुनेचैव गोदावरिसरस्वति // नर्मदेसिंधुकावेरिजलेस्मिन्सनिधिंकुरु // 16 // आवाहयामित्वांदेविस्नानार्थ मिहसुंदरि // एहिगंगेनमस्तुभ्यंसर्वतीर्थसमन्विते // 17 // ततोवमितिबीजेनयोजपेत्तानितजले // अन्यकैन्दुमंडलानितत्रसंचिंतयेत्पुनः // 18 // मंत्रयेत्तेनमंत्रणरविवारंततोजलम् // कवचेनावगुंज्या थरक्षेदत्रेणतत्पुनः॥ 19 // मूलमन्त्रेणेशवारमाभिमंत्र्यनमेजलम्॥ मंत्रणवक्ष्यमाणेनदेवतांमनसिस्म रन् // 20 // आधारःसर्वभूतानांविष्णोरतुलतेजसः॥ तद्रूपाश्चततोजाताश्चापस्ताःप्रणमाम्यहम् // 21 // मजेजलेस्मरंस्तत्रमूलंचदेवताकृतिम्॥ उन्मज्ज्यसिंचेत्कंसप्तकृत्वकलशमुद्रया // 22 // मूलेनाथचतुर्मत्रैरभिषिचेनिजांतनुम् // लिख्यतेतेऽथचत्वारोमंत्रा शंकरभाषिताः॥२३॥ मादिना // देवताकृर्तिध्यानोक्ताम् // कंशिरकलशमुद्रया // कुंभमुद्रया // हस्तद्वयेनसावकाशिकमुष्टिकरण कुंभमुद्रा॥२०॥२१॥ 22 // 23 // MPARAMDHAMAREMAMMAHARASHTRanwarrangam For Private and Personal Use Only