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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूतलिपिरूपास्याजप्या // सायथा // अंइंडलंएंऐंओंऔंहंयरवलंडंकंखधंगजेचंछंझंजणटंठंढंडंनंतथंधंदम |पंफंभंबंशंषसं // इयंद्विचत्वारिंशदर्णाभूतलिपिः॥तदुक्तंशारदायाम् // पंचवस्वाःसंधिवर्णाव्योमेरोऽग्निर्जलंध रा // अंत्यमाद्यंद्वितीयंचचतुर्थमध्यमंक्रमात् // पंचवर्गाक्षराणिस्युर्वातश्वेतेंदुभिःसहेति // अस्यादक्षिणा मूर्तिर्ऋषि गायत्रीछंदावर्णेश्वरीदेवता // ईयरवलंहृत् // डंकखंघंगशिरः // अंचंछंझंजंशिखा // णंटंटंटंडं वर्म // नंतथंधंदनेत्रम् // मपंफंभंबंअस्त्रम् // गुदलिंगनाभिहृत्कंठभ्रूमध्यकेशांतशिरोब्रह्मरंध्रेषुनवस्वरान्य यंत्रसेवनसक्तेनोपास्याभूतलिपिःपरा // ययोपासितयासर्वयंत्रसिद्धि प्रजायते // 15 // अथवश्यकरंयं त्रमुच्यतेक्षिप्रसिद्धिदम् // भस्मादिशोधितेकांस्यभाजनेऽष्टदलंलिखेत् // 16 // स्योर्ध्वप्राग्दक्षिणोदक्पश्चिमवक्रेषुहादिपंचकम् // करयोरमूलकूर्परांगुलिसंधिमणिबंधेषुङादिवर्गनादि वर्गों // पादयोरप्रमूलजान्वंगुलिसंधिगुल्फेषुणादिनादिवर्गों // उदरपार्श्वद्वयनाभिपृष्ठेषुमादिवर्गम् // गुह्यहृद्भूमध्येषुशषसान्यसेत् // एवंवर्णान्यस्यचंद्रशेखरांत्रिनेत्रांवराक्षमालापुस्तककपालकरांसुरामत्तांध्या येत् // एवंध्यात्वालक्षप्रजप्यायुतंतिलैर्तुत्वासिद्धमंत्रोभवति // एवंभूतलिपिसेवयावक्ष्यमाणयंत्रसिद्धिः // श्रीविद्ययोराधारताच // 15 // यंत्रमाह // अथेति // 16 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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