________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ग्रंथविस्तरभयान्मंत्रकथनमुपसंहराति // ग्रंथानिति // 49 // // इतिश्रीमन्महीधरकृतायांमंत्रमहोदधिनी कायांताम्रचूडादिकथनंनामैकोनविंशस्तरंगः॥ 19 // // यंत्राणिवक्तुमुपक्रमते // अथेति // पुरारिणाशि ग्रंथाननेकानालोक्यमंत्रागुप्ततमामया // हितायसुधियांख्याताविस्तरादुपरम्यते // 49 // इतिश्रीमं त्रमहोदधौताम्रचूडादिकथननामैकोनविंशस्तरंगः॥ 19 // अथप्रवक्ष्येयंत्राणिगदितानिपुरारिणा // शुभेदिनेसमाराध्यस्वष्टदेवंयतात्मवान् // 1 // स्वप्यात्रिदिवसंभूमौहविष्याशीजपेरतः॥ इदंमेलिखितं यंत्रमिष्टंतत्कीदृशंप्रभो // 2 // इतिपृष्ट्वानिजदेवंप्रत्यहंतसमर्चयेत् // तृतीयेदिवसेरात्रौस्वप्रसंप्राप्नु यानरः॥ ३॥सिद्धंसाध्यसुसिद्धंवाशत्रुभूतमथोइदम् // शत्रुयंत्रलिखेनैवतदातदितरल्लिखेत् ॥४॥स्वप्ना भावेपितद्धित्वापरयंत्रंलिखेत्सुधीः // अथसंप्रोच्यतेसर्वयंत्रसाधारणीक्रिया॥५॥ नातःशुद्धाम्बरधरः पुष्पचंदनभूषितः॥ द्रव्यैःसमुदितैरुक्तस्थलेयंत्रलिखेद्रहः॥६॥ षष्ठयंतंसाधकपदंमध्यबीजोपरिस्मृ तम् // द्वितीयांतंसाध्यमधःपार्श्वयोःकुरुयुग्मकम् // 7 // विनगौरीप्रतिकथितानि // पूर्वप्रक्रियामाह // शुभइति // 1 // 2 // 3 // 4 // 5 // 6 // षष्ठचंतमितिदेवद // त्तस्यइष्टंकुरुकुर्विति // 7 // For Private and Personal Use Only