________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie // 57 // 58 // 59 // 60 // 61 // गायत्र्या भूताधिपायेत्यादिकया // 62 / / 63 // 64 // 65 // पार्थिव पादैःसर्वेणपंचांगंकृत्वात्मनिवि स्मरेत् // साध्यस्वपाशेनविवध्यगाढनिपातयंतखलुसाधकस्यापादा ब्जयोदडधरंत्रिनेत्रंभजेतशास्तारमभीष्टसिद्ध्यै॥१७॥लक्षमेकंजपेन्मंत्रंदशांशंजुहुयात्तिलैः॥ शैवेपीठे यजेद्देवमादावंगानिपूजयेत्॥२८॥दलेष्वष्टसुगोप्तारंपिंगलाक्षततःपरम्।।वीरसेनंशांभवंचत्रिनेत्रंशूलिनंत था // 29 // दक्षंचभीमरूपंचदिक्पालानत्रसंयुतान् // एवंसिद्धोमनुःसर्वमभीष्टमंत्रिणेऽर्पयेत् / / 60 // मध्याह्नजलिनातस्मैजलंदत्त्वाजलार्थिने // गोप्तादिभ्यस्तद्गणेभ्योदद्यादष्टौजलांजलीन् // 6 // जलसंतर्पितःशास्तासगणोऽभीष्टदोभवेत् / निशितस्मैवलिंदद्याद्गायत्र्याचाभिमंत्रितम् / / 62 // तद ग्रेप्रजपेन्मूलमष्टोत्तरशतंसुधीः // भूताधिपायशब्दांतेविद्महेपदमीरयेत् // 63 // महादेवायचं ततोधीमहीतिपदंवदेत् // तन्नःशास्ताप्रचोवर्णादयादितिचकीर्तयेत् // 64 // गायत्र्येषो दिताशास्तुःसर्वाभीष्टप्रदानृणाम् // अथपार्थिवलिंगस्यविधानमाभिधीयते // 65 // स्नातोनित्यंवि धायादोगत्वाशुद्धांभुवंसुधीः // उपरिष्ठामपाकृत्यषडणेनाधिमंत्रयेत् // 66 // लिंगविधानमाह / / स्नातइत्यादि // 66 // 1 भूताधिपायविद्महेमहादेवायधीमहितन्नःशास्ताप्रचोदयात् // For Private and Personal Use Only