________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यमाशावदनोदक्षिणदिङ्मुखः॥ निधनताराजन्मनक्षत्रात्सप्तमनक्षत्रम् // षोडशंपंचविंशंच // 41 // प्रयोगां तरमाह // निधायति // गोमयेनशत्रोःप्रतिमांकृत्वानामविदर्भितंमंत्रंतालपत्रेविलिख्यतत्तालपत्रंगोमयप्र तिमाहदिनिक्षिप्यप्रतिमोपरिरूप्यताम्रमृदामन्यतरनिर्मितंघटंसंस्थाप्यगोमयोदकाभ्यामापूर्यतत्रापिना मविदर्मितंमंत्रलेखयुतंताडपत्रंनिक्षिप्यतत्रशत्रोःप्राणस्थापनंकृत्वाप्रत्यहंत्रिसंध्यंशतमंत्रंकुंभंस्पृष्ट्वाजपेत् // विभीतकाष्ठसंदप्तियमाशावदनोनिशिशत्रोनिधनतारायांकृत्वैवंमारयेदरिम् // 41 // निधायगोमयंभू / मौप्रकुर्यात्प्रतिमांरिपोः॥ ताडपत्रेसमालिख्यमनुनानाविदर्भितम्॥४२॥ तत्पत्रंनिक्षिपेत्तस्याहृदित त्प्रतिमोपरि॥ मृजंवाराजतंकुंभंगोमयोदकपूरितम्॥४३॥मनुनामयुतंताडपत्रेणाव्यंनिधापयेत्॥तदसू न्स्थापयेत्कुंभेत्रिसंध्यंजपेन्मनुम् // 44 // प्रत्यहंशतसंख्याकंछायायावद्भवोद्रेपोः // गोमयांभसिदृष्टा यांतच्छायायांतुसाधकः॥४५॥अवस्थाया प्रतिकृतेच्छिद्यादंगमभीप्सितम् // शस्त्रेणतस्यनाशायमृतये हृदयंगलम्॥४६॥प्रविद्धकंटकैर्मूत्रिशिरोरोगोभवेद्रिपोःआधयोहृदयविद्धपदो पादव्यथाभवेत्॥४७॥ यावत् शत्रो प्रतिबिंबंघटेदृश्यतेतावत्कालंजपेत् // घटोदकेशत्रुप्रतिबिंबेदृष्टघटाधस्थाया गोमयप्रतिमा यायदंगंछिद्यतेतद्रिपोर्नश्यति॥हृदिगलेचछिन्नेतन्मृतिः॥ प्रतिमामूद्धिकंटकैविधेशिरोरोगः॥ हृदिविद्धमनः पीडा। पादयुग्मेकंटकविद्धपादरोगइत्यादि॥४१॥ 42 // 43 // 44 // 45 // 46 // 47 // 14 HINDI Man TRAN i For Private and Personal Use Only