________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आनुष्टुभमंत्रांतरमाह // कातेति // कार्तवीर्यार्जुनोनामराजाबाहुसहस्रवान् // तस्यसंस्मरणादेवहृतंन / ष्टंचलभ्यतइति // 52 // 53 // गायत्रीमाह // कार्तवीर्यायविद्महेमहावीर्यायधीमहि तन्नोर्जुनःप्रचोदयादि कार्तवीर्यार्जुनोवर्णान्नामराजापदंततः // उक्त्वावाहुसहस्रांतेवान्पदंतस्यसंततः // 52 // स्मरणा देववर्णाहृतंनष्टंचसंपठेत् // लभ्यतेमंत्रवर्योऽयंद्वात्रिंशद्वर्णसंज्ञकः॥५३॥ पादैःसर्वेणपंचांगंध्यान योगादिपूर्ववत् // कार्तवीर्यायशब्दांतेविद्महेपदमीरयेत् // 54 // महावीर्यायवर्णातेधीमहीतिपदं वदेत् // तन्नोर्जुनःप्रवीतेचोदयात्पदमीरयेत् // 55 // गायव्येषार्जुनस्योक्ताप्रयोगादौजपेत्तुताम् // अनुष्टुभंमनुरात्रौजपतांचौरसंचयाः // 56 // पलायंतेगृहादूरंतर्पणाद्वचनादपि // अथोदीपविधि वक्ष्येकार्तवीर्यप्रियंकरम् // 57 // वैशाखेश्रावणेमार्गेकार्तिकाश्विनपौषतः // माधफाल्गुनयो मासेदीपारंभःप्रशस्यते // 58 // तिथौरिक्ताविहीनायांवारेशनिकुजौविना // हस्तोत्तराश्विरौद्रेषु पुष्यवैष्णववायुभे॥१९॥ ति॥५४॥५५॥५६॥ दीपविधानमाह अथोइति // 5 // आरंभेमासानाह // वैशाखइति // 58 // रिक्ताश्च तुर्थीनवमीचतुर्दश्यस्तद्रहिततिथौ।नक्षत्राण्याह॥हस्तेति॥रौद्रमार्दा // वैष्णवं श्रवणंवायुभंस्वातिः॥ 59 // For Private and Personal Use Only