________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुबेरमंत्रमाह // यक्षायेति // यथा // यक्षायकुबेरायवैश्रवणायधनधान्याधिपतयेधनधान्यसमृद्धिमेदे हिदापयस्वाहेति // बाणरामाऽक्षरः॥ पंचत्रिंशदर्णः // 105 // 106 // 107 // षडंगमाह // त्रीति // अथमंत्रंकुबेरस्यवक्ष्येसर्वसमृद्धिदम् // यक्षायपदमुच्चार्यकुबेरायपदाच्चवै॥ 105 // श्रवणायधनाणीते धान्याधिपतयेधनम्॥धान्यशब्दात्समृद्धिमेदेहिदापयठद्वयम् // 106 // वाणरामाक्षरोमंत्रोविश्रवामुनिर स्यतु // छंदस्तुबृहतीदेवः शिवमित्रंधनेश्वरः॥१०७॥विचतुःपंचवस्वष्टमुनिवर्गमनूद्भवैः॥ कृत्वापडं गंधनदंचिंतयेदलकागतम्॥ 108 // मनुजवाह्यविमानवरस्थितंगरुडरत्ननिभनिधिनायकम्॥शिवसखं मुकुटादिविभूषितंवरगदेदधतंभजतुंदिलम्॥१०९॥ लक्षमेकंजपेन्मंत्रंदशांशंजुहुयात्तिलैः // धर्मादिपी ठेप्रयजेदंगलोकपहेतयः // 110 // शिवालयेजपेन्मंत्रमयुतंधनवृद्धये // बिल्वमूलोपविष्टेनजप्तोल संधनर्द्धिदम् // 111 // यक्षायहृदयायनमइत्यादि // 108 // ध्यानमाह // मनुजेति // गरुडरत्नंगारुडमणिः // वरगदेदक्षवा BEमयोः // 109 // धर्मादीनिपीठशक्त्याभावः // 110 // 111 // 1 भस्यकुबेरमंत्रस्यविश्रवाऋषिःबृहतीछंदःशिवमिबंधनेश्वरोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थेजपेविनियोगः / For Private and Personal Use Only