________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 141 रुजांरोगाणाम्॥ 45 // 46 // जन्मतारात्रयेजन्मनक्षत्रेततोदशमैकोनविंशयोश्च ॥४७॥४८॥रुद्रजपांगभूतं / सटीक दशार्णमाह // तारइति // भगवानरुद्रोपिडेंतः॥ पदद्वयंचतुर्थ्यत॥यथा ॥ॐनमाभगवतेरुद्रायेति // 49 // अष्टोत्तरशतंदूर्वात्रिकहोमाद्रुजांक्षयः॥ स्वजन्मदिवसेयस्तुपायसमधुरान्वितैः॥४५॥जुहोतितस्यवर्द्ध त०१६ तेकमलारोग्यकीर्तयः॥ गुडूचीबकुलोत्थाभिःसमिद्भिर्हवनंनृणाम् // 46 // जन्मतारात्रयेरोगान्मृत्यु चापिविनाशयेत् // प्रत्यहंजुहुयाहूर्वाअपमृत्युविनष्टय॥४७॥ किंबहूतेनसर्वेष्टंप्रयच्छतिशिवोनृणाम्॥ अपामार्गसमिद्भिश्चसिद्धान्नैवरनष्टये॥४८॥दुग्धाक्तैरमृताखंडैमसिहोमोखिलाप्तये // तारोहद्भगवान्हें तोरुद्रायतिदशाक्षरः॥४९॥बौधायनोमुनिःपंक्तिश्छंदोरुद्रोऽस्यदेवता॥पंचन्यासान्प्रकुर्वीतस्वस्यरु द्रत्वसिद्धये // 50 // यजुर्वेदस्थितान्मंत्रानेकत्रिंशत्स्थलेन्यसेत् // यातेरुद्रशिखादेशेह्य स्मिन्महतिमस्तके // 51 // रुद्रविधानमाह // पंचेति // 50 // यातेरुद्रेत्यूचंशिखायान्यसेत् // 1 // अस्मिन्महत्यर्णवेशिरास॥२॥५१॥ // 14 // 1 अस्यमंत्रस्यबौधायनऋषि:पंक्ति छंदःरुद्रोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // BAMHANUMRESHAAREESOMESSIOSARDIDOSJSJUS MORamerabanowami For Private and Personal Use Only