________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie www.kobatirth.org म०म० सटीक // 136 // त०१५ व्यासमंत्रमाह // बालइति // बालोवः॥ पवनदीर्धेन्दुयुक्तः // यकाराकारबिंदुयुतः व्याम् // जलंझिंटी शयुगूवकारएकारयुतः वे // अविर्दः // व्यासायस्वरूपम् // हृदयंनमः // यथा // व्यांवेद बाल पवनदीर्घन्दुयुक्तोझिंटीशयुरजलम् // अत्रिासायहृदयंमनुरष्टाक्षरोमतः // 10 // ब्रह्मानु टुम्सुनिश्छंदोदेवःसत्यवतीसुतः॥आद्यबीजनम शक्तिर्दीर्घाव्येनादिनांगकम् // 101 // व्याख्यामु द्रिकयालसत्करतलंसद्योगपीठस्थितंवामेजानुतलेदधानमपरंहस्तेसुविद्यानिधिम् // विश्वातवृतंप्रस नमनसंपाथारुहाङ्गद्युतिपाराशय्येमतीवपुण्यचरितव्यासस्मरात्सद्धये // 102 // जपेदष्टसहस्रा णिपायसोममाचरेत् // पूर्वोक्तपीठेव्यासस्यपूर्वमंगानिपूजयेत् // 103 // प्राच्यादिषुयजेत्पैलवै शंपायनजैमिनीम् // सुमंतुकोणभागेषुश्रीशुकंरोमहर्षणम् // 104 // व्यासायनमइति // 10 // 101 // विप्रवातवृतम् // ब्राह्मणसमूहपरिवेष्टितम् // पाथोरुहांगद्युतिनीलेंदीव रकांतिम्॥ 102 / / पूर्वोक्तपीठेधर्मादिके // 103 // 104 // 1 अस्यमंत्रस्यब्रह्माऋपिःअनुष्टुप्छंदःसत्यवतिसुतोदेवताव्यांबीजनमःशक्तिर्ममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // // 136 // For Private and Personal Use Only