________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तासांबीजान्याह // द्वस्वति // द्वस्वत्रयम् अइड // क्लीबाऋऋलल // एतद्वयतिरिक्तारेफबिंदुयुताः // स्वराक्रमात् // तासांबीजानि // तत्पूर्वास्तायजेत् // सरीसरेंरैंरों रंरः॥ इति ॥रांदीप्तायैनमः॥ रीसूक्ष्मायैइत्यादि // 24 // पीठमंत्रमाह // ब्रह्मेति // स्मृतिर्गः // ॐब्रह्मविष्णुशिवात्मकायसौराय योगपीठात्मनेनमइति // 25 // मूर्तिकल्पनेमंत्रमाह // तारइति // तारॐसेंदुवियत्हं // बिंदुयुतस्तद्र अमोघाविद्युतासर्वतोमुखीपीठशक्तयः // ह्रस्वत्रयक्लीवहीनस्वरान्वह्नींदुसंयुतान् // 24 // बीजानिपीठशक्तीनांतदाद्यास्ताप्रपूजयेत् // ब्रह्मविष्णुशिवात्मांतेकायसौराययोस्मृतिः // 25 // पीठात्मनेनमस्तारपूर्व-पीठमनुःस्मृतः // तारसेंदुवियत्कांतौबिंदुमद्विन्दुवर्जितौ // 26 // खो ल्कायहृदयमंत्रोनवार्णोमूर्तिकल्पने // अनेनमूततॊकृप्तायांयजेत्प्रद्योतनंप्रभुम् // 27 // प्राग्वत्पडंगं | संपूज्यदिश्वष्टांगंप्रपूजयेत् ॥आदित्यंमध्यतोभ्यर्च्यविभानुंचभास्करम् // 28 // माहितश्चति // द्वौकांतोखो ॥खंखः॥ खोल्कायस्वरूपं // हृदयंनमः॥ 26 // 27 // प्रागिति // षडंगान्यन्या दिषुसंपूज्यदिश्वष्टांगानि न्यासोक्तानियजेत् // आदित्यादीन्पंचमध्यदिक्षुचन्यासवत् // ॐकारादिपंच हस्वाद्यान् // उषामिति // आद्यर्णाद्याः // उंउषायैनमइत्यादि // अष्टम्यामातुःस्थानेरुणमेवयजदि त्यर्थः॥ सोंसामायेत्यादिपूर्ववत् // आद्यर्णाद्याः रविपार्षदेभ्योनमइत्यादि॥२८॥ For Private and Personal Use Only