________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - तच्चयौवतं युवतिसमूहापुरुषान्वशयेत् // 71 // 72 // 73 // 74 // मंडलमेकोनपं चाशद्दिना नितन्मध्येवांछितंप्रियंप्राप्नोति // 75 // 76 // 77 // मंत्रांतरमाह // कामइति // कामाक्लीं // विय धारयन्वशयेत्सद्योयौवतंतचपूरुषान् // पुष्पंवासांजनंवापितांबूलमथचंदनम् // 71 // सहस्रंमनुना जप्तंदद्याद्यस्मैनरायसः॥ वशमेत्यचिरादेवसपुत्रपशुवांधवः // 72 // वृंदावनस्थंगायतंगोपीभिःसं स्मरन्हरिम् // अपामार्गसमिद्भियोजुहुयादशयेजगत् // 73 // रासक्रीडागतंकृष्णध्यायन्योयुतमाज पेत् // षण्मासाद्वांछितांकन्यामुग्रहेक्तितत्परः॥७४ // जपेत्सहस्रध्यायंतीयाकदंवस्थितंहरिम् // कन्यकावांछितनाथमंडलांतर्लभेतसा॥७२॥पत्रैःफलैःसमिद्भिर्वाबिलोत्थैर्मधुसंयुतैः॥ कमलैःशर्करा युक्तहोमालक्ष्मीपतिर्भवेत्॥७॥बहुनाकिमिहोक्तनकृष्णःसर्वार्थदोनृणाम्।।अथमंत्रांतरंवच्मिगोविंदस्ये ष्टदनृणाम्।।७७॥कामोविय।चिकाव्यपीतावामाशिसंयुता // चक्रीझिटीशमारूढोबकोनंतान्वितोमरुत् // ७८॥हृदयांतोमनुश्रेष्टोवसुवर्णोखिलेष्टदः॥ मुनिःसम्मोहनायोस्यनारदःपरिकीर्तितः // 79 // वहः॥ रेचिकाढचंऋयुतं ह ॥पीताषः॥ वामाक्षिसंयुता ॥ईयुताषी।चक्रीकः॥ झिंटीशए // तदारुढाके॥ बकाशः। अनंतान्वितः। आयुतःशा / / मरुत्यः॥ हृदयंनमः। यथा // क्लींहृषीकेशायनमः॥ 78 // 79 // Ba 1 भस्यसंमोहनमंत्रस्यनारदऋषिःगायत्रीछंद त्रैलोक्यमोहनदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // For Private and Personal Use Only