________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MH य 2 हुंफट् // 116 // 117 // 118 // 119 // 120 // बाणनेत्रंदुवर्णः॥ पंचविंशत्युत्तरशतार्णः // अष्टार्णमा लामंत्रीस्वतंत्रावितिसूचयन्नाह // अष्टाणेति॥ 121 // 122 // // इतिश्रीमंत्रमहोदधिनौकाटीकायांत्रयो तडिजिह्वमहारौद्रदंष्ट्रोत्कटकहद्वयम् // करालिनेमहादृढप्रहारित्रितिवर्णकाः // 17 // लंकेश्वरवधायां तेमहासेतुपदंततः॥ बंधांतेचमहाशैलप्रवाहगगनेचर // 18 // एयहिभगवन्नंतेमहाबलपराक्रम // भैरवा ज्ञापयोहिमहारौद्रपदंपुनः॥१९॥ दीर्घपुच्छेनवातेवेष्टयांतेतुवैरिणम् // जयद्वितयंहुंफट्प्रणवादिस मीरितः // 20 // वाणनेत्रंदुवर्णोयंमालामंत्रोखिलेष्टदः॥युद्धेजप्तोजयंद्याव्याधौव्याधिविनाशनः॥२१॥ अष्टार्णमालामन्वोस्तुमुन्याद्यर्चातुपूर्ववत् // भूरिणाकिमिहोक्तेनसर्वदद्यात्कपीश्वरः // 122 // इतिश्रीमंत्रमहोदधीहनुमन्मंत्रकथनंनामत्रयोदशस्तरंगः॥१३॥ ॥अथवक्ष्येमहाविष्णोर्मत्रान्सर्वार्थसा धकान् // ब्रह्मायायानसमाराध्यससृजुर्विविधाःप्रजाः॥१॥ मेरु कृशानुसंयुक्तोऽनुग्रहेंदुसमन्वितः // एकाक्षरोनरहरेमैत्रःकल्पद्रुमोनृणाम् // 2 // दशस्तरंगः // 13 // विष्णुमंत्रानुवक्तुंप्रतिजानीते // अथेति // 1 // मंत्रानाह // मेरुरिति // मेरुक्षः॥ ISI कृशानूरः॥ अनुग्रहऔ॥ इंदुर्विदुः॥ तेनक्षु // 2 // १क्षरौमित्येकार्णः॥ For Private and Personal Use Only