________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त०१३ BORO // 92 // 93 // 94 // 95 // 96 // 97 // 98 // उदररोगनाशकमंत्रमाह // पवनेति // सद्योजातओंकार स्तातंपवनद्वयंयोयो॥ हनुस्वरूपं // शशांकाढयोमहाकालः // सबिंदुर्मः मंकामिकातः // फलफलस्व // 119 // भूतप्रेतपिशाचादिनाशायैवंसमाचरेत् // महारोगनिवृत्त्यैतुसहस्रप्रत्यहंजपेत् // 92 // यताशनोऽ युतनित्यंजपन्ध्यायनकपीश्वरम् // राक्षसौघविनिनंतमचिराजयतिद्विषम् // 93 // सुग्री वेणसमंरामसंदधानंस्मरन्कपिम् // प्रजप्यायुतमेतस्यसधिंकुविरुद्धयोः॥ 94 // लंकादहंतंतच्या यन्नयुतंप्रजपेन्मनुम्॥शत्रूणांप्रदहेद्वामानचिरादेवसाधकः॥९॥प्रयाणसमयेध्यायन्हनूमंतमजपन् / योयातिसोऽचिरावस्वेष्टंसाधयित्वागृहंव्रजेत्॥९६।।यःकपीशंसदागेहेपूजयेजपतत्परः॥आयुर्लक्ष्म्यौप्रव द्वैतेतस्यनश्यंत्युपद्रवाः।९७शार्दूलतस्करादिभ्योरक्षेन्मनुरयंस्मृतः॥प्रस्वापकालेचौरेभ्योदुष्टस्वप्नाद पिध्रुवम्॥९८॥पवनद्वितयंसद्योजातयुक्तंहनूपदम् ॥महाकाल शशांकाड्यःकामिकाफलकक्रिया९९॥ Baसनेत्राणांतमीनोगसात्वतोगितआयुरा॥ पलोहितंरुडाहतिवेदनेत्राक्षरोमनुः॥ 10 // रूपं // सनेवाक्रिया / इयुतोलालि // णांतस्तः // मीनोधः॥ गस्वरूपं // सात्वतोधः // गितआयुराषस्वरू पं // लोहितं षः॥ रूडाहस्वरूपं // वेदनेत्राक्षरः॥ चतुर्विशत्यर्णः॥ यथा ॥योयोहनुमंतफलफलितधगधगि // 119 // For Private and Personal Use Only