________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir H // 21 // 22 // 23 // देहचंदनंदेहेधृतंयच्चंदनंतेनयुतं // भस्मांबुचमंत्रितंयस्मैदेयंसवश्यास्यात् // 24 // ईशानेत्यादितद्गृहंचिरमित्यंतएकाप्रयोगः // भूतांकुशतरोःकरंजस्य // अरिष्टस्यईशानदिशिस्थिते शस्त्रक्षतंत्रण शोफोलूतास्फोटोपिभस्मना // त्रिमंत्रितेनसंस्पृष्टाःशुष्यंत्यचिरतोनृणाम् // 21 // सूर्यास्तमयमारभ्यजपेत्सूर्योदयावधि // कीलकंभस्मचादायसप्ताहावधिसंयुतः // 22 // निखने द्भस्मकीलौतौविद्विषांद्वार्यलक्षितः // विद्वेषंमिथआपन्नाःपलायंतेऽरयोऽचिरात् // 23 // अभिमंत्रि तभस्मांबुदेहचंदनसंयुतम् / खाद्यादियोजितंयस्मैदीयतेसचदासवत् // 24 ॥राश्चजंतवोनेनभवं तिविधिनावशाः // ईशानदिक्स्थमूलेनभूतांकुशतरोःशुभाम् // 25 // अंगुष्ठमात्रांप्रतिमांप्रविधायह नूमतः॥ प्राणसंस्थापनंकृत्वासिंदूरैःपरिपूज्यच // 26 // गृहस्याभिमुखीद्वारेनिखनेन्मंत्रमुच्चरन् / भूताभिचारचौराग्निविषरोगनृपोद्भवाः // 27 // संजायंतेगृहेतस्मिन्नकदाचिदुपद्रवाः // प्रत्यहं धनपुत्रायेरेधतेतद्गृहंचिरम् // 28 // नमूलेनांगुष्ठमितांहनुमत्प्रतिमांकृत्वाप्राणान्संस्थाप्यसिंदूरैरभ्यर्च्यतद्गृहद्वारिनिखन्यततत्रसर्वोपद्रवना शस्तबृद्धिश्च // 25 // 26 // 27 // 28 // For Private and Personal Use Only