________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 108 // एवंषष्ठमावरणमभ्यय॑सर्वरक्षाकरेचक्रेइमादशनिगर्भयोगिन्यापूजितासंत्वित्युक्त्वांकुशमुद्रादर्शयेत् // RE ततोष्टारेरक्तवस्त्रबाणवरदक्षकराधनुर्विद्यावामकरान्यासोक्ताअष्टवशिन्याद्याउक्तबीजपूर्विकायजेत् // त०१२ सर्वेप्सितार्थफलदापश्चिमादिविलोमगाः // पुष्पमूलेनदत्त्वाथोकुर्यान्मुद्रांमहांकुशाम् // 16 // सर्व रक्षाकरेचक्रेनिगर्भा-पूजिताइमाः॥ योगिन्यस्तर्पिता संतुममाभीष्टफलप्रदाः // 17 // संप्रायवमथा | टारेदाडिमीपुष्पसंनिभाः॥ रक्तांशुकाधनुर्वाणविद्यावरलसत्कराः॥१८॥ अकारायष्टवर्गाद्यापश्चिमादि विलोमतः॥ पूजयेत्पूर्वसंप्रोक्तावीजाद्याअष्टदेवताः॥ 19 // वशिनीचापिकौमारीमादिनीविमलारुणा॥ जयिनीचापिसर्वेशीकौलिनीत्युदिताःपुरा // 120 // सर्वरोगहरेचक्रेरहस्याःपूजितामया // तर्पिताः पूजिताःसंतूत्वैवंदद्यात्सुमांजलिम् // 21 // खेचरीदर्शयेन्मुद्रांसुंदरीतुष्टयेत्ततः // त्रिकोणेत्वकथाद्य र्णरचितेपश्चिमादितः // 22 // हीश्रींअंआंअम्ब्र्व शिनीवाग्देवताश्रीपा० // 116 // 117 // 118 // 119 // 120 // एवंसप्तमावरणमिष्ट्वासर्व // 10 रोगहरचक्रेइमाअष्टारहस्ययाोगन्यापूजितासंत्वित्युक्त्वाखेचरीमुद्रांदर्शयेत् // 121 // 122 // For Private and Personal Use Only