________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एतास्त्रिकोणेपंचदशसंपूज्यबिंदौमूलेनषोडशीयजेत् // यथा // अंमूलंमहात्रिपुरसुंदरीनित्याश्रीपादुका पूजयामितर्पयामिनमः // बिंदुत्रिकोणयोर्मध्येत्रिभंगीभिःपंक्तित्रयेणगुरून्यजेत् // 34 // तेत्रिवि मूलेनषोडशींमध्येयजेत्रिपुरसुंदरीम् // विदुत्रिकोणयोर्मध्येत्रिभंगीभिर्युरून्यजेत् // 34 // दिव्यौपाश्चा पिसिद्धौघामानवौघास्त्रिधाहित॥परप्रकाश प्रथमस्ततःपरशिवाभिधः॥३६॥ परशक्तिश्चकौलेश शुक्ला देवीकुलेश्वरः॥ कामेश्वरीतिसप्तैवदिव्यौघागुरवःपराः // 36 // भोगःक्रीडश्चसमयःसहजश्चपरावराः // सिद्धौघगुरवश्चैतेचत्वार परिकीर्तिताः॥ 37 // गगनोविश्वविमलौमदनोभुवनस्तथा // लीलास्वात्मा प्रियेत्यष्टौमानवाअपरामताः॥३८॥ आनंदनाथाशब्दांताःपुरुषागुरवःस्मृताः // अंबांतास्तुस्त्रियः कार्याःसर्वसिद्धिप्रदायिकाः // 39 // प्रधाइत्याह / / दिव्यौघाइति // दिव्यौघानाह // परप्रकाशइति // 35 // 36 // सिद्धौघानाह // भोगइति // मानवौधानाह० // मगनइति // पुमांसोगुरवआनंदनाथशब्दांता:कार्याः // स्त्रियोगुरवस्तुअंबाश BAब्दांताः // 37 // 38 // 39 // Layou For Private and Personal Use Only