________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भैरवमंत्रमाह // हसेति // हसक्षमलेतिस्वरूपं // पानीयंवः॥ वहीरः ॥ईरोयः॥ अर्धीशऊ॥बिन्दुश्च // एतैर्यु तंबीजं // स्वरूपमन्यत् // यथा // हसक्षमल!आनंदभैरवायवौषट् // दशार्णः // सुधादेवीम त्रमाह // हसयोरिति // पूर्वोक्तबीजेहसयोर्वेपरीत्यम् // सहक्षमल सुधादेव्यैवौषट् // मुन्यक्षर सप्तार्णः॥ मत्स्यति // मत्स्यमुद्रालक्षणं यथा // वामोपरिष्टात्संस्थाप्यदक्षहस्तंप्रसारयेत् // अंगुष्ठीयुतयोः पार्धमत्स्य भैरवंचसुधादेवीस्वमंत्राभ्यांयजेजले // हसक्षमलपानीयवह्नीरा(शविंदुमत् // 75 // बीजमानं दभैरवांतेवायुरुषड्मनुर्मतः // हसयोर्वैपरीत्येनबीजपूर्वोदितंसुधा // 76 // देव्यैवौषट्तयोमंत्री दशमुन्यक्षरौक्रमात् // ततोमत्स्यास्त्रकवचधेनुमुद्राःप्रदर्शयेत् // 77 // संरोधिन्यासंनिरुध्यम शलंचक्रसंज्ञकम् // महामुद्रांयोनिमुद्रांकुर्यात्कुंभामृतेपुनः // 78 // मुद्रेयमीरितेति // अस्त्रकवचमुद्रेवक्ष्येते // धेनुमुद्रोक्ता // 75 // 76 // 77 // संरोधिनीवक्ष्यते // मुशलमुद्रा यथा // मुष्टीकृत्वातुहस्ताभ्यांवामस्योपरिदक्षिणम् / / कुर्यान्मुशलमुद्रेयंसर्वविघ्ननिवारिणीति // चक्रमुद्रा यथा // हस्तौतुसंमुखौकृत्वासंलग्नौसुप्रसारितौ // कनिष्ठांगुष्ठकौलग्नौमुद्रैषाचक्रसंज्ञितेति // महामुद्राव क्ष्यते // योनिमुद्रोक्ता // 78 // For Private and Personal Use Only