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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त०११ मं०म० षोढान्यासादयोविस्तरभयान्नोक्तास्तेउच्यते॥ गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिपीठलक्षणाःषोढान्यासागणे शमातृकामंत्रस्यदक्षिणामूर्तिर्ऋषिः गायत्रीछंदःश्रीमातृकासुंदरीदेवताममोपास्यश्रीविद्यांगत्वेनषोढान्या // 91 // सेविनियोगः॥ अंकं५ आंऐंहृत् // इंच 5 ईक्लींशिरः॥ उंटे 5 ऊँसौशिखाएतं 5 ऐसौ.कवचम्॥ॐपं५औंक्तीं| नेत्रम्॥अंयं१० अअस्त्रं॥ध्यानम्॥उद्यत्सूर्यसहस्राभांपीनोन्नतपयोधरां रक्तमालांबरालेपरक्तभूषणभूषितां॥ पाशांकुशधनुर्बाणभास्वत्पाणिचतुष्टयां।।रक्तनेत्रत्रयांस्वर्णमुकुटोद्भासिचंद्रिकम् // एवंध्यात्वान्यसेद्वीजपूर्व गंअंविघ्नेशह्रींभ्यांनमः॥ गंआंविघ्नराजश्रीभ्यांनमः।इत्यादिमातृकास्थलेन्यसेत्॥गणेशा शक्तियुक्ताएकवि शेतरंगेमूलेग्रंथकारेणैवोक्ताः // इतिगणेशमातृकान्यासः॥१॥अथग्रहमातृकामंत्रस्यदक्षिणामूर्तिऋषिरित्या | षोढान्यासादयोन्यासाःकार्याःसौभाग्यवांछया॥नोच्यतेविस्तरभयानवचावश्यकाश्चते॥४८॥ दिपूर्ववत् षडंगच // ग्रहरूपिणीसुंदरीदेवताध्यानं // रक्तश्वेतंतथारक्तश्यामंपीतंचपांडुरम्॥धूम्रकृष्णंचधूनंच धूमधूम्रविचिन्तयेत् ॥रविमुख्यान्कामरूपानसर्वाभरणभूषितान् // वामोरुन्यस्तहस्तांश्चदक्षिणेनवरप्रदा मन् // एवंध्यात्वामातृकापूर्वान्ग्रहान्यसेत् / / अं 16 सूर्यायरेणुकांबायनमःहृदि // 1 // यं 4 चंद्रायाम तांबायैनमःभूमध्ये // 2 // कं 5 मंगलायधामांबायैनमोनेत्रयोः॥३॥चं 5 बुधायज्ञानरूपांबायैनमोहदि // 4 // BE 5 बृहस्पतयेयशस्विन्यंबायैनमोहृदयोपरिभागे // 5 // तं 5 शुक्रायशांकर्यबायैनमाकंठे // 6 // पं 5 शनैश्चरायशक्त्यंबायैनमोनाभौ // 7 // शं 4 राहवेकृष्णांबायैनमोमुखे // 8 // लंक्षकेतवे // 9 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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