________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Top51 स्वयंभुवेस्वरूपं // शंभुजायाहीं॥ज्येष्ठायैस्वरूपं॥हृदयनमः॥५४॥ श्रीशक्तिः॥ ह्रींबीज॥पदोन्मितिःपदवर्णसं स्वयंभुवेशंभुजायाज्येष्ठायेहृदयान्तिकः॥ मनुःसप्तदशाोयंमुनिब्रह्मास्यकीर्तितः॥५४॥छंदोष्टि ज्येष्ठलक्ष्मीस्तुदेवताशक्तिबीजके // श्रीमायेमूलतोहस्तौप्रमृज्यांगसमाचरेत् // 55 // रॉमवेदैर्युगे कत्रिनेत्राणैर्मनुसंभवैः॥ पदानामष्टकंन्यस्येच्छिरोभ्रूमध्यवकके // 56 // हृन्नाभ्याधारकेजानुपादयो स्तत्पदोन्मितिः // भूचंद्रेकचतुर्वेद मिरामाक्षिवर्णकैः // 57 // उद्यद्भास्करसन्निभास्मितमुखी रक्ताम्बरालेपनासत्कुंभंधनभाजनंसृणिमथोपाशंकरैर्बिभ्रती // पद्मस्थाकमलेक्षणादृढकुचासौंदर्य्यवारां निधिर्ध्यातव्यासकलाभिलाषफलदाश्रीज्येष्ठलक्ष्मीरियम् // 58 // लक्षंजपेत्पायसेनजुहुयात्तद्दशा शतः॥ आज्याक्तनयजेत्पीठेवक्ष्यमाणेमहाश्रियम् // 19 // ख्याभूरित्यादिवर्णैज्ञेया॥५५॥५६॥ 57 // ध्यानमाह // उद्यदिति // धनपात्रांकुशौदक्षिणयोः // कुंभपा शौवामयोः॥५८॥ 59 // 1 पट्ठीश्रीज्येष्ठालक्ष्मिस्वयंभुवेह्रींज्येष्ठायैनमइतिसप्तदशाणः // 2 अस्यज्येष्ठालक्ष्मीमंत्रस्यब्रह्माऋषिःअष्टिश्छंदःज्येष्ठालक्ष्मीदेवताश्रीं शक्ति ह्रींबीजममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः॥ For Private and Personal Use Only