________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie अग्निपत्नीस्वाहा // स्वरूपमन्यत् // 28 // षडंगमाह // रामेति // अन्यत्तुध्यानपूजाप्रयोगःपूर्ववत् // 29 // माहेश्वरीप्रसन्नेतिवरदेपदमुच्चरेत् // अन्नपूर्णेग्निपत्नीतिपंचविंशतिवर्णवान् // 28 // रॉमर्पड्युंगपइवेदने | वार्णैःस्यात्पडंगकम् // एषांचतुर्णामंत्राणामन्यत्सर्वतुपूर्ववत् // 29 // त्रैलोक्यमोहनोगौरीमंत्रःसंकी य॑तेधुना ॥मायानमोंतेब्रह्मश्रीराजितेराजपूजिते // 30 // जयेतिविजयेगौरीगांधारीतिवदेत्पदम् // त्रिभुतोयमेषवशंकरिसर्वससद्यलः // 31 // कवशंकरिसर्वस्त्रीपुरुषांऽतेवशंकरि // सुद्वयंदुद्वयंढे | युग्वायुग्मंहरवल्लभा // 32 // स्वाहांतएकषष्टयोमंत्रराजःसमीरितः // अजोमुनिर्निचूतछंदो गौरीत्रैलोक्यमोहिनी // 33 // गौरीमंत्रमाह // मायेति ॥मायाह्रीं // 30 // तोयंवः // मेषोनः // ससद्यलः // लो॥ 31 // सुदुघेवाएषां युग्मंसुरदुरघेरवारहरवल्लभाह्रीं // स्वरूपशेषम् // 32 // अजोब्रह्मा // 33 // 1 ॐश्रीह्रींनमःभगवतिमाहेश्वरिप्रसनवरदेअन्नपूर्णेस्वाहेतिपंचविंशत्यर्णः // 2 ह्रींनमोब्रह्मश्रीराजितेराजपूजितेजयविजयेगौरिगांधा भरित्रिभुवनशंकरिसर्वलोकवशंकरिसर्वस्त्रीपुरुषवशंवकरिसुसुदुदुघेघेवावाहीस्वाहत्येकषष्टयर्णः॥ 3 ॐअस्यमंत्रस्यअजऋषिःनिनृत्गायत्री छंदःगौरीत्रैलोक्यमोहिनीदेवताहींबीजंस्वाहाशक्तिःममाखिलकामसिद्ध्यर्थे जपेविनियोगः // For Private and Personal Use Only