________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 6 // ar // 86 // 87 // नवममाह // हृल्लेखति / हल्लेखात्रितयंहीं३ // अनंतआ स्वरूपमपरम् // 88 // दशममाह // मायति // मायाह्रीं ॥रमाश्रीं // मन्मथाक्लीं // स्वरूपशेषम् // 89 // एकादशमाह // हल्लेखेति // हल्लेखाहीं॥ दहनांत्यमहाकालभुजंगपुरुषोत्तमाः॥ मन्वर्षीशंदुसंयुक्ताद्वितीयंबीजमीरितम् // 86 // वागवीजत्रिपु रेसर्ववांछितंदेहिहत्ततः॥ वह्निप्रियासप्तदशवर्णोयंकीर्तितोमनुः // 87 // हल्लेखात्रितयंप्रौढत्रिपुरेनं तरोग्यम॥श्वर्य्यदेहिप्रियावह्नर्मनुरष्टादशाक्षरः॥८८॥मायारमामन्मथांतेत्रिपुरामदनेपदम्।।सर्वशुभंसा धयाने प्रियान्तोष्टादशाक्षरः॥८९॥ हृल्लेखाकमलानंगोवालांतेत्रिपुरेपदम्।।मदायत्तांततोविद्यांकुरुहृद्ध ह्निवल्लभा // 90 // मंत्रोविंशतिवर्णोयंमायापद्मामनोभवः॥ परापरेंतेत्रिपुरेसर्वमीप्सितमुच्यताम्॥९१॥ कमलाश्रीं // अनंगः क्लीं॥ हृत्नमः॥ वहिवल्लभास्वाहाशेषस्वरूपम् // 9 // द्वादशमाह // मायेति // मायाहीं॥पद्माश्रीं // मनोभवानी // 6 // 1 स्क्तींक्षम्यौऐत्रिपुरेसर्ववांछितंदेहिनमःस्वाहेतिसप्तदशार्णः // 2 ह्रींह्रींहीप्रौढत्रिपुरेआरोग्यमैश्वर्यदेहिस्वाहेत्यष्टादशार्णः॥ 3 ह्रींश्रीक्लीं। त्रिपुरामदनेसर्वशुभंसाधयस्वाहेत्यष्टादशाक्षरः। 4 ह्रींश्रींकींवालत्रिपुरेमदायत्तांविद्यांकुरुनमःस्वाहेतिविंशत्यर्णः / For Private and Personal Use Only