________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकल्पनीया मंत्रज्ञैः कार्यगौरवलाघवात् // 12 // इति विंशत्यक्षरोकार्तवीर्यार्जुनमंत्रप्रयोगः // अन्यो मंत्रो यथा-"ॐ नमो भगवते श्रीकार्तवीर्यार्जुनाय सर्वदुष्टांतकाय तपोबलपराक्रमपरिपालितसप्तद्वीपाय सर्वराजन्यचूडामणये महाशक्तिमते सहस्रबाहवे हुं फट्" इति मला त्रिषष्टिवर्णों मंत्रः // अस्य विधानम् // राजन्यचक्रवर्तिने हृदयाय नमः॥ 1 // वीराय शिरसे स्वाहा // 2 // शूराय शिखायै वषट् / // 3 // माहिष्मतीपतये कवचाय हुम् // 4 // रेवांबुपरितृप्ताय नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥कारागेहपबाधितदशास्याय अस्त्राय फट्॥६॥इति / पडंगन्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // “सिच्यमानं युवतिभिः क्रीडतं नर्मदाजले // हस्तै लोघं रुंधतं ध्यायेन्मत्तं नृपोत्तमम् // 1 // " इति ध्यायेत् // अस्य पुरश्चरणमयुतजपः // पूजादिकं सर्व पूर्ववत् // तथा च / “एवं ध्यात्वायुतं मंत्र जपेदन्यत्तु पूर्ववत् // पूर्व वत्सर्वमेतस्य समाराधनमीरितम् // 1 // इति / अन्यो मंत्रो यथा-"ॐ कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान् // तस्य संस्मरणादेव हृतं नष्टं च लायने ॥इत्यनुष्टुब्रूपो मंत्रः // ॐ कार्तवीर्यार्जुनो नाम हृदयाय नमः // 1 // राजा बाहुसहस्रवान् शिरसे स्वाहा // 2 // || तस्य संस्मरणादेव शिखायै वषट् // 3 // हृतं नष्टं च लायते कवचाय हुम् // 1 // ॐ कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान्ना तस्य संस्मरणादेव हृतं नष्टं च लभ्यते अस्त्राय फट् // 5 // इति पंचांगन्यासं कर्यात् // अन्यत् सर्व पूर्ववत् // अन्यः // "ॐ कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली // सहस्रबाहुः शत्रुनो रक्तवासा धनुर्धरः // रक्तगंधो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः॥” इति मत्रः॥ अस्य विधानम् // "द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत् // अनष्टद्रव्यता तस्य नष्टस्य पुनरागमः" इति // गायत्रीमंत्रो यथा॥"ॐ कार्तवीर्याय विद्महे महावीर्याय धीमहि // तन्नोर्जुनः प्रचोदयात् // गायव्येषार्जुनस्योक्ता प्रयोगादौ जपेत्तु ताम् // अनुष्टुनं मनुं रात्री जपतां चौरसंचयाः // पलायंते गृहादूरं तर्पणाद्वचनादपि // 1 // इति कार्तवीर्याजुनमंत्रप्रयोगः // For Private And Personal Use Only