________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir मं० मन इति प्राणान् प्रतिष्ठाप्य ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // शुद्धस्फटिकसंकाशंसहस्रादित्यवर्चसम् // नीलजीमूतसंकाशंनीलांजनसमप्रभम् // 1 0 खं० 1 अष्टबाहुं त्रिनयनं चतुर्बाहुं द्विबाहुकम् // दंष्ट्राकरालवदनं नूपुरारावसंकुलम् // 2 // भुजंगमेखलं देवमनिवर्णशिरोरुहम् // दिगंबरं // 264|| कुमारेशं वटुकारख्यं महाबलम् // 3 // खटागमसिपाशं च शूलं दक्षिणभागतः / / डमरूं च कपालं च वरदं भुजगं तथा // 4 // अग्निवर्णस तर०१० मोपेतं सारमेयसमन्वितम् / एवं ध्यात्वा हि बटुकं ततो यजनमारभेत् // 5 // तत्र मंत्रः // अक्षतानादाय "देवेश भक्तिमुलन परिवारसम जान्वित // यावत्या पूजयिष्यामि तावदेव इहावह // 1 // आगच्छ देव बटुक स्थाने चात्र स्थितो भव // यावत्पूजां करिष्यामि तावत्वं / | सन्निधौ भव // 2 // " मूलं पठित्वा 'ॐ भूर्भुवः श्रीवटुकभैरवदेवते इहागच्छ इह तिष्ट ' इत्यक्षतान्निःक्षिप्य आवाहनीमुद्रा प्रदर्शयेत् // इत्यावाहनम् // 3 // "तवेयं महिमा मूर्तिस्तस्यां त्वां सर्वगः प्रभो // भक्तिस्नेहसमाकष्टंदीपवस्थापयाम्यहम् // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीवटुकभैरवदेव इहतिष्ठ // इत्यक्षतान्निःक्षिप्य स्थापिनीमुद्रां प्रदर्शयेत् // इति स्थापनम् // 2 // "अनन्या तव देवेश मूर्तिशक्तिरियं प्रभो / सान्निध्यं कुरु तस्यां वं भक्तानुग्रहतत्परः // 1 // " मूलं पठित्वा 'ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीवटुकभैरवदेवते इह सन्नि धेहि ' इत्यक्षतान्निःक्षिप्य सन्निधापनीमुद्रां प्रदर्शयेत् // इति संनिधापनम् // 3 // "आज्ञया तब देवेश कृपांनोधे गुणांबुधे // आत्मानं देकतृतं त्वां निरुणधिम पितर्गुरो // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीवटुकभैरवदेवते इह सन्निरुध्य // इत्यक्षतान्निःक्षिप्य सन्नि रोधनमुद्रां प्रदर्शयेत् // इति सन्निरोधनम् // 4 // "अज्ञानाडुमनस्त्वादा वैकल्यात्साधनस्य च // यदपूर्ण भवेत्कृत्यं तदप्यभिमुखो भव // // " मूलमंत्रं पठित्वा 'ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीबटुकभैरवदेव इह संमुखो भव' इत्यक्षतान्निःक्षिप्य मम्मुखीकरणमुद्रां प्रदर्शयेत् // इति // 264 For Private And Personal Use Only