________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir सोमाय गदाहस्ताय नमः।। 7 // ॐ ई इशानाय त्रिशूलहस्ताय नमः / / 8 // ॐ ब्रह्मणे कमलहस्ताय नमः॥ 5 ॥ॐ अं अनं ताय चक्रहस्ताय नमः / / 10 / / इत्यष्टमावरणदेवतान्यासः // 8 // इति न्यासं कृत्वा श्रीकण्ठादिकलामातृकान्यासं कर्यात् // तथा च / ॐ अस्य श्रीकण्ठादिन्यासस्य दक्षिणामूर्तिषिः। गायत्री छन्दः ! अर्धनारीश्वरो देवता / हलो बीजानि / स्वराः शक्तयः चतुर्विध पुरुषार्थमिद्ध्यर्थं न्यामे विनियोगः // ॐ दक्षिणामूर्तिऋषये नमः शिरसि / / 1 / / गायत्रीछन्दसे नमः मुखे // 2 // अर्धनारी श्वरदेवताय नमः हृदि / / 3 // हल्बीजेन्यो नमः गुह्ये // 4 // स्वरशक्तिभ्यो नमः पादयोः॥५।। विनियोगाय नमः सर्वांगे / / 6 / / इति श्रीकंठादिना कलामातृकांतर्गतकप्यादिन्यामः / / ॐ ह्वा अगुष्ठाभ्यां नमः // 1 // ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ कहूँ मध्यमान्यां नमः // 3 // ॐ अनामिकाभ्यां नमः // 4 // ॐ ह्रीं कनिष्ठिकाश्यां नमः // 5 // ॐ ह्रः करतलकरपृष्टा। न्यां नमः॥ 6 // इति श्रीकंठादिना कलामातृकांतर्गतकरन्यासः॥ ॐ ह्वाँ हृदयाय नमः // 3 // ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ काह शिखायै वषट् ॥३॥ॐ कवचाय हुम // 4 // ॐ ह्रीं नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ ह्रः अस्त्राय फट् // 6 // इति श्रीकंठा दिना कलामातृकांतर्गतहृदयादिषडंगन्यामः // अथ ध्यानन // "पाशांकुशवराक्षत्रपाणिशीतांशुशेखरम् // व्यक्षं रक्तसुवर्णाभमर्धनारी विश्वरं बजे॥३॥ बन्धककांचननिभं रुचिराक्षमालां पाशांकुशौ च वरदं निजबाहृदंडैः।।बित्राणमिन्दुशकलाभरणं त्रिनेत्रमर्धाम्बिकेशमनिशंद वपुराश्रयामः॥२॥” इति ध्यात्वा श्रीकण्ठाद्यान न्यसेत् // तद्यथा-ॐ ह्रीं अं श्रीकंठेशपूर्णोदरीयां नमः मस्तके // 1 // ॐ हौं आं अनंतशशिवराजाभ्यां नमः आननवृने // 2 // ॐ ह्रौं इं सूक्ष्मेशशाल्मलीन्यां नमः दक्षिणनेत्रे // 3 // ॐ ह्रौं ई त्रिमूर्तिलोला For Private And Personal Use Only