________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir म० // 165 // नौमि विद्यारविष्णुम् // 1 // एवं ध्यात्वा विष्णुपीठे संपूज्य आवरणपूजां कुर्य्यात् // प्रथमावरणम् // प्रज्ञाय 1 मेधाहय 2 स्मृ 0 ख०१ तिहय 3 विद्याहय 4 लक्ष्मीय 5 वागीशीहय 6 विद्याविशालय 7 नादविमर्दनहयै 8 रित्यष्टभिः / / द्वितीयम्।।लक्ष्मीसरस्वतीरति वि० 0 प्रीतिकीर्तिकांतितुष्टिपुष्टिभिः तृतीयम् // कुमुदादिभिर्गजैः चतुर्थम् // इन्द्रादिभिः पंचमावरणं अन्यत सर्व पूर्ववत // अस्य पुरश्चरणं तरं० 7 लक्षचतुष्टयं जपः॥ तथा च-वेदलक्षं जपेन्मंत्री दशांशं जुहुयात्नतः // साज्येन दशांशहोमः // इति हयग्रीवस्यैकादशाक्षरमंत्रप्रयोगः // // अथ वाराहरूपविष्णुमंत्रप्रयोगः // मंत्रो यथा ( शारदातिलके ) "ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूर्भुवः स्वः स्यात्पतेभूपतित्वं देह्यते ददापय स्वाहा” इति त्रयस्त्रिंशदारोबाराहमंत्रः।। अस्य मंत्रस्य भार्गव ऋषिः / अनुष्टुप् छंदः / आदिवाराहो देवता / मर्वेष्टसिद्धये जपे / विनियोगः // भार्गवऋषये नमः शिरमि // 3 // अनुष्टुप् छंदसे नमः मुखे // 2 // आदिवाराहदेवतायै नमः हृदि // 3 // विनियोगाय नमः मांगे // 4 // इति कप्यादिन्यामः॥ॐ एकदंष्ट्राय अंगुष्ठाभ्यां नमः // 3 // ॐ व्योमोल्काय तर्जनीन्यां नमः॥२॥ॐ तेजोधिपतये मध्यमाभ्यां नमः // 3 // ॐ विश्वरूपाय अनामिकात्यां नमः // 4 // ॐ महादंष्ट्राय कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 / / इति करन्यासः // ॐ एकदंष्ट्राय हृदयाय नमः / / 1 / / ॐ व्योमोल्काय शिरमे स्वाहा // 2 // ॐ तेजोधिपतये शिखायै वषट् // 3 // ॐ विश्वरूपाय कवचाय हुँ // 4 // ॐ महादंष्ट्राय अम्बाय फट / / इति हृदयादिपंचांगन्यासः / एवं न्यासविधिं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // आपादं जानुदेशाद्वरकनकनिभं नानिदेशादधस्तान्मुक्ताभं कंठदेशानरुणरविनित मस्तकान्नीलभासम् // ईडे हस्तैर्दधानं रथचरणदरौ खनखेटौ गदाख्यां शक्ति दानाभये च क्षितिधरणलमदंष्ट्रमाद्यं बारहम्॥१॥एवं ध्यात्वा वैष्णवे पीठे यंत्रं संस्थाप्य मूलेन मूर्ति प्रकल्प्य ) For Private And Personal Use Only