________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir मै० म० // 72 // श्रीगणेशाय नमः // अथ गणेशतंत्रप्रारंभः // तत्रादौ पटलप्रारंभः // अथ षडक्षरवक्रतुंडमंत्रश्योगः // (मंगे यथा मंत्रमहोदधौ ) वक्रतुंडाय हुँ' इति पडझरो मंत्रः // अस्य विधानम् / प्रातः कृतक्रियश्चन्द्रतारादिबलान्विते मुमुहूत विविक्ते देशे जपस्थानं प्रकल्प्य गण गतं. पतिपूजनादिनांदीश्राद्धातं विधाय जपस्थानमागत्य कूर्मशोषिते स्वासने प्राङ्मुख उदङ्मुसो वा उपविश्य मुलेनाचम्य प्राणानायम्य | भूतशुद्धिप्राणप्रतिष्ठामंतर्मातृकाबहिर्मातृकान्यासं च सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण कृत्वा पूर्ववत् गणेशकलामातृकान्यासं विधाय प्रयोगोक्त थी न्यासादिकं कुर्यात तत्र क्रमः--ॐ अस्य श्रीगणेशमंत्रस्य भार्गवऋषिः, अनुष्टप् छंदः, विनेशो देवता, वं बीजम्, यं शक्तिः, ममाभी है। सिद्धये जपे विनियोगः // ॐ भार्गवर्षये नमः शिरासे॥ 1 // ॐ अनुष्टुप्छंदसे नमः मुखे // 2 // ॐ विनेशदेवतायै नमः हृदि // 3 // ॐ ब बीजाय नमः गुह्ये // 4 // ॐ यं शक्तये नमः पादयोः // 5 // ॐ विनियोगाय नमः सर्वांगे // 6 // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ वंश नमः अंगुष्ठाभ्यां नमः॥१॥ॐ नमः तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ नमः मध्यमान्यां नमः॥३॥ ॐ डॉ नमः अनामिकात्यां नमः॥ // 4 // ॐ य नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 // ॐ हुँ नमः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥६॥ इति करन्यासः॥ ॐ नमः हृदयाय नमः। ॐ नमः शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ नमः शिखायै वषट् // 3 // ॐ डॉ नमः कवचाय हुँ॥४॥ ॐ य नमः नेत्रत्रयाय / वौषट् // 5 // ॐ हुँ नमः अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // ॐ व नमः भ्रमध्ये // 1 // ॐ क्रं नमः कंठे // 2 // // 72 // ॐ तु नमः हृदये // 3 // ॐ डाँ नमः नाभौ // 4 // ॐ यं नमः लिंगे // 5 // ॐ हुँ नमः पादयो ॥६॥इति वर्णन्यासः।।एवं न्यास छ। कृत्वा ध्यायेत् // ध्यानम्-उयदिनेश्वररुचिं निजहस्तपनैः पाशांकुशाभयवरान्दधतं गजास्यम् ॥रकांवरं सकलदुःखहरं गणेशं ध्यायेत्यसमा For Private And Personal Use Only